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स्वर सहित व्यंजनों का लोप
१६६ बड़े-बड़े विचलित हो जाते हैं । इस गांव में तीन सौ आदमी रहते हैं । जिसके शरीर में बल होता है उसको पसीना बहुत आता है। तुम्हारा कटु व्यवहार हृदय को बींधता है। सरकार के संग्रहालय (संगहालयं) में पडा अनाज सड रहा है । तुम्हारे कथन में मुझे कोई बाधा नहीं है। असाधु शाप देता है वह फलित नहीं होता। धन और रूप पर अभिमान नहीं करना चाहिए।
प्रश्न १. किन-किन व्यंजनों का स्वर सहित लोप होता है ? २. नीचे लिखे शब्दों में बताओ किस व्यंजन का स्वर सहित लोप होकर
क्या रूप बनता है और किस नियम से ? व्याकरणं, राजकुलं, दुर्गादेवी, पादपीठं, हृदयं, कालायसं, जीवितं,
प्रावारकः । ३. मुहूर्त, दिवस, मध्यदिन, संध्या, घटी, रात्रि, पूर्व दिन, ऋतु और प्रातःकाल
के लिए प्राकृत के शब्द बताओ। ४. धरिस, सिज्ज, विज्झ, कुह, बाह, सव और मज्ज धातुओं के अर्थ बताओ
और उन्हें वाक्य में प्रयोग करो। ५. पोप्फलं, णारिएलो, णिकायगो, पिआलो, णिबो, बब्बूलो, टेंटा, काणच्छि, सच्छंदो शब्दों को वाक्य में प्रयोग करो तथा हिन्दी में अर्थ बताओ ।
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