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________________ १६० प्राकृत वाक्यरचना बोध चत्य और चौर्य के समान र्यं वाले शब्दों में य से पहले इकार का आगम होता है यं / रिय- चौयं (चोरिअं ) । स्थैर्यं (थेरिअं ) । भार्या (भारिआ ) । गाम्भीर्यम् ( गम्भीरिअं ) । गाम्भीर्यम् (गहीरिअं ) । आचार्यः (आयरिओ) | ( सोरिअं ) । वीर्यं ( वीरिअं ) । वर्यं ( धीरिअं ) । ब्रह्मचयं ( बम्हचरिअं ) । सौन्दर्यं ( सुन्दरिअं ) । शौर्यं वरिअं । सूर्य: ( सूरिओ) । धैयं स्या 7 सिआ - स्याद् (सिआ ) ब्य 7 विभ - भव्यः (भविओ) | स्य 7 इअ - चैत्यं (चेइअं ) । नियम ४१४ ( शं षं तप्त-वज्र वा २।१०५) र्श और र्ष संयोग वाले शब्दों तथा तप्त और वज्र शब्दों में संयोग के अन्त्य व्यंजन से पहले इकार का आगम विकल्प से होता है । शं 7 रिस - आदर्श: ( आयरिसो, आयंसो) । सुदर्शन: ( सुदरिसणो, सुदंसणो ) । दर्शनं ( दरिसणं, दंसणं ) । घं 7 रिस - वर्षं ( वरिसं, वासं ) । वर्षा ( वरिसा, वासा ) | प्त / विभतप्तः ( तविओ, तत्तो ) । 7 इर-- वज्र ( वरं वज्जं ) । निम्नलिखित शब्दों को नित्य इकार आगम परामर्शः - परामरिसो । हर्षः (हरिसो) । अमर्ष: ( अमरिसो) । नियम ४१५ ( स्वप्ने नात् २।१०८) स्वप्न शब्द में न से पहले इकार का आगम होता है । स्व > सिवि --- स्वप्नः (सिविणो, सिमिणो, सुमिणो ) । ईकार का आगम नियम ४१६ ( ज्यायामीत् २।११५ ) ज्या शब्द में य से पहले ईकार आगम होता है | ज्या (जीआ) उकार का आगम- नियम ४१७ (पद्म-छ- मूर्ख द्वारे वा २।११२ ) पद्म, छद्म, मूर्ख और द्वार शब्दों में संयोग के अन्त्य व्यंजन से पूर्व उकार का आगम विकल्प से होता है । 7 उम - पद्मं ( पउमं, पोम्मं ) । छद्मं (छउमं, छम्मं ) । > रुख - मूर्ख : (मुरुक्खो, मुक्खो ) । द्व > बुब-द्वारं (दुवारं वारं, देरं दारं ) । नियम ४१८ ( तन्वी - तुल्येषु २।११३) उकारान्त शब्द स्त्रीलिंग में ईप प्रत्यय आने से तन्वी जैसे शब्द बन जाए उनसे उकार का आगम होता है । तन्वी ( तणुवी ) । लघ्वी ( लहुवी ) । गुर्वी (गरुवी ) । बह्वी (बहुवी ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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