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प्राकृत वाक्यरचना बोध
चत्य और चौर्य के समान र्यं वाले शब्दों में य से पहले इकार का आगम होता है
यं / रिय- चौयं (चोरिअं ) । स्थैर्यं (थेरिअं ) । भार्या (भारिआ ) । गाम्भीर्यम् ( गम्भीरिअं ) । गाम्भीर्यम् (गहीरिअं ) । आचार्यः (आयरिओ) | ( सोरिअं ) । वीर्यं ( वीरिअं ) । वर्यं ( धीरिअं ) । ब्रह्मचयं ( बम्हचरिअं ) ।
सौन्दर्यं ( सुन्दरिअं ) । शौर्यं वरिअं । सूर्य: ( सूरिओ) । धैयं
स्या 7 सिआ - स्याद् (सिआ )
ब्य 7 विभ - भव्यः (भविओ) |
स्य 7 इअ - चैत्यं (चेइअं ) ।
नियम ४१४ ( शं षं तप्त-वज्र वा २।१०५) र्श और र्ष संयोग वाले शब्दों तथा तप्त और वज्र शब्दों में संयोग के अन्त्य व्यंजन से पहले इकार का आगम विकल्प से होता है ।
शं 7 रिस - आदर्श: ( आयरिसो, आयंसो) । सुदर्शन: ( सुदरिसणो, सुदंसणो ) । दर्शनं ( दरिसणं, दंसणं ) ।
घं 7 रिस - वर्षं ( वरिसं, वासं ) । वर्षा ( वरिसा, वासा ) |
प्त / विभतप्तः ( तविओ, तत्तो ) ।
7 इर-- वज्र ( वरं वज्जं ) ।
निम्नलिखित शब्दों को नित्य इकार आगम
परामर्शः - परामरिसो । हर्षः (हरिसो) । अमर्ष: ( अमरिसो) । नियम ४१५ ( स्वप्ने नात् २।१०८) स्वप्न शब्द में न से पहले इकार का आगम होता है ।
स्व > सिवि --- स्वप्नः (सिविणो, सिमिणो, सुमिणो ) ।
ईकार का आगम
नियम ४१६ ( ज्यायामीत् २।११५ ) ज्या शब्द में य से पहले ईकार आगम होता है | ज्या (जीआ)
उकार का आगम-
नियम ४१७ (पद्म-छ- मूर्ख द्वारे वा २।११२ )
पद्म, छद्म, मूर्ख और द्वार शब्दों में संयोग के अन्त्य व्यंजन से पूर्व उकार का आगम विकल्प से होता है ।
7 उम - पद्मं ( पउमं, पोम्मं ) । छद्मं (छउमं, छम्मं ) ।
> रुख - मूर्ख : (मुरुक्खो, मुक्खो ) ।
द्व > बुब-द्वारं (दुवारं वारं, देरं दारं ) ।
नियम ४१८ ( तन्वी - तुल्येषु २।११३) उकारान्त शब्द स्त्रीलिंग में ईप प्रत्यय आने से तन्वी जैसे शब्द बन जाए उनसे उकार का आगम होता है । तन्वी ( तणुवी ) । लघ्वी ( लहुवी ) । गुर्वी (गरुवी ) । बह्वी (बहुवी ) ।
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