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आदेश विकल्प से होता है । वनिता ( विलया, वणिआ )
नियम ३७७ ( गौणस्येषत कूरः २।१२६) ईषत् शब्द गौण हो तो कूर आदेश विकल्प से होता है । चिंच व्व कूर पिवका (चिंचा इव ईषत् पक्वा ) । पक्ष में ईसि ।
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प्राकृत वाक्यरचना बोध
नियम ३७८ ( स्त्रिया इत्थी २।१३०) स्त्री शब्द को इत्थी आदेश विकल्प से होता है । स्त्री ( इत्थी, थी ) ।
नियम ३७६ ( धूते दिहिः २।१३१) धृति शब्द को दिहि आदेश विकल्प से होता है । धृतिः ( दिही, धिई) 1
नियम ३५० ( मार्जारस्य मञ्जर वञ्जरी २।१३२) मार्जार शब्द को मञ्जर और वञ्जर आदेश विकल्प से होता है । मार्जार: (मञ्जरो, वञ्जरो, मज्जारो ) ।
नियम ३८१ ( वैडूर्यस्य वेरुलिअं २०१३३) वैडूर्य शब्द को वेरुलिअ आदेश विकल्प से होता है । वैडूयं ( वेरुलिअं, वेडुज्जं ) ।
नियम ३८२ ( एहि एत्ताहे- इदानीमः २०१३४ ) इदानीम् शब्द को एत्ता और एहि आदेश विकल्प से होता है । इदानीम् (एहि, एत्ताहे आणि) ।
नियम ३८३ ( पूर्वस्य पुरिमाः २।१३५ ) पूर्व शब्द के स्थान पर पुरिम आदेश विकल्प से होता है । पूर्वं ( पुरिमं पुव्वं ) ।
नियम ३८४ ( त्रस्तस्य हित्य - तुट्ठौ २।१३६ ) त्रस्त शब्द को हित्थ और तुट्ठ आदेश विकल्प से होता है । त्रस्तं (हित्यं, तट्ठ, तत्थं ) ।
नियम ३८५ ( बृहस्पतौ बहो भयः २।१३७ ) बृहस्पति शब्द के बह शब्द को भय आदेश विकल्प से होता है । बृहस्पति: ( भयस्सई, भयप्फई, भयप्पई, बहस्सई, बहप्फई, बहप्पई) । ( वा वृहस्पती १।१३८ ) नियम १६७ से इकार और उकार होता है । बिहस्सई, बिहफई, बिहप्पई । बुहस्सई, बुह, बुहप |
नियम ३८६ ( मलिनोभय-शुक्ति-छुप्तारब्ध- पदाते मंडलावह - सिप्पि - छक्काढत्त पाइक्कं २।१३८ ) मलिन को मइल, उभय को अवह, शुक्ति को सिप्पी, छुप्त को छिक्क, आरब्ध को आढत्त और पदाति को पाइक्क आदेश विकल्प से होता है । मलिनं ( मइल, मलिणं ) । उभयं ( अवहं ) । कई उवहं भी मानते हैं । आर्ष में उभयो भी मिलता है, उभयो कालं । शुक्तिः ( सिप्पी, सुत्ती । छुप्तः (छिक्को, छुत्तो ) । आरब्ध: ( आढत्तो, आरद्धो ) । पदातिः (पाइको, पयाई ) ।
नियम ३८७ ( दंष्ट्राया दाढा २।१३६) दंष्ट्रा शब्द को दाढा आदेश होता है । दंष्ट्रा (दाढा ) |
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