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________________ ४८ पूर्ण व्यंजन परिवर्तन शब्द संग्रह (फल वर्ग १) आम-अंबं, सहआरफलं बेल-वेलयो अमरूद-पेरुओ (सं) तरबूज-कालिंगो केला--कयलो खरबूजा--खब्बूयं, दसंगुलं (सं) नारंगी-~णारंगो कटहल-पणसो कमरख-कम्मरंगो (सं) अनार--दाडिम कपित्थ-कविट्ठो सेव-सेवं (सं) सहतूत-तूओ, तूलो (सं) अनानास-अणंणासं पीलु-पीलु(पुं) जामुन-जंबूओ, जंबूगो, जंबू (स्त्री) बडहर-लउचो, एरावयो नाशपती-अमियफलं (सं) पुष्टिवाला-पुट्रिम (वि०) खट्टा-खटुं (दे०) कब्ज-मलावरोहो तंत्र-तंतं पुराना-पुराअणं धातु संग्रह खच-पवित्र होना खुब्भ-क्षुब्ध होना खर-झरना, टपकना खिस-निंदा करना खरड-लीपना, पोतना खुम्म-भूख लगना खल-पडना, भूलना, रुकना गल-गलना, सडना नियम ३७३ (स्तोकस्य थोषक-थोव-येवाः २॥१२५) स्तोक शब्द को थोक्क, थोव, थेव-ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं। स्तोकं (थोक्कं, थोवं, थेवं, थोअं)। नियम ३७४ (दुहित-भगिन्यो —आ-बहिण्यो २।१२६) दुहित को धूआ और भगिनी को बहिणी आदेश विकल्प से होता है । दुहित (धूआ, दुहिआ) । भगिनी (बहिणी, भइणी)। नियम ३७५ (वक्ष-क्षिप्तयो रुक्ख-छुढो २।१२७) वृक्ष और क्षिप्त शब्द को क्रमशः रुक्ख और छूढ आदेश विकल्प से होता है। वृक्षः (रुक्खो, वच्छो) । क्षिप्तं (छूढं, खित्तं)। नियम ३७६ (वनिताया विलया २११२८) वनिता शब्द को विलया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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