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प्राकृत वाक्यरचना बोध
नियम ३३८ (वन्ते ण्टः २।३१) वृन्त शब्द के न्त को ण्ट आदेश होता है। न्त>ष्ट-वृन्तं (वेण्टं) तालवृन्तं (तालवेण्ट)
नियम ३३६ (कन्दरिका-भिन्दिपाले : २३८) कन्दरिका और भिन्दिपाल के न्द को ण्ड आदेश होता है। न्द>ण्ड-कन्दरिका (कण्डलिआ) । भिन्दिपाल: (भिण्डिवालो)।
नियम ३४० (सूक्ष्म-श्न-उण-स्न-ह न-हण-क्षणां व्हः २७५) सूक्ष्म शब्द तथा श्न, ष्ण, स्न, ह ल और क्ष्ण को ण्ह आदेश होता है। श्न>ह-प्रश्नः (पण्हो) । शिश्नः (सिण्हो) bण 70ह-विष्णुः (विण्हू)। जिष्णुः (जिण्हू)। कृष्णः (कण्हू)। उष्णीषं
(उण्हीसं) स्न7ह-ज्योत्स्ना (जोण्हा) स्नातः (हाओ) प्रस्तुतः (पण्हुओ) ह>ह-वह्निः (वण्ही) जह नुः (जण्हू) 0>ह-पूर्वाह्नः (पुवाहो) अपराह्नः (अवरण्हो) क्षण>ण्ह-तीक्ष्णं (तिण्ह) श्लक्ष्णं (सण्ह) माह-सूक्ष्म (सण्ह)
नियम ३४१ (पात्र्याम् २।८१) धात्री शब्द में र का लुक् विकल्प से होता है। त्रात-धात्री (धत्ती)। ह.स्व करने से पहले र का लोप करने से धाई
बनेगा।
नियम ३४२ (स्तस्य यो समस्त-स्तम्बे २।४५) समस्त और स्तम्ब को छोडकर स्त को थ आदेश होता है। स्त74-हस्त: (हत्थो) स्तुतिः (थुई) स्तोत्रं (थोत्तं) स्तोकं (थो)
प्रस्तरः (पत्थरो) प्रशस्त: (पसत्थो) अस्ति (अत्यि) स्वस्तिः
(सत्थि ) स्त 72-स्तम्भः (थंभो)। (नियम ३२६ से)
नियम ३४३ (स्तवे वा २०४६) स्तव शब्द के स्त को थ आदेश विकल्प से होता है। स्त7थ-स्तवः (थओ, तवो) . स्तथपर्यस्तः (पल्लत्थो) (नियम ३२५ से) साथ-उत्साहः (उत्थारो, उच्छाहो) (नियम २८४ से)
. नियम ३४४ (माश्लिष्टे ल-धो २१४६) आश्लिष्ट शब्द के पल को ल तथा ष्ट को ध आदेश होता है। ष्ट 74-आश्लिष्टः (आलद्धो)
नियम ३४५ (मन्यो न्तो वा २०४४) मन्यु शब्द के न्य को न्त आदेश
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