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________________ १६४ स्त 7 ट पर्यस्त: ( पल्लट्टो ) नियम ३२६ ( थावस्पन्दे २६) स्तम्भ के स्त को थ और ठ आदेश होता है, स्पन्द का अभाव ( गतिहीन ) अर्थ हो तो । स्त 7ठ--स्तम्भ : ( ठम्भो ) स्तम्भ्यते ( ठम्भिज्जइ ) प्राकृत वाक्यरचना बोध नियम ३२७ ( ठोस्थि विसंस्थले २१३२) अस्थि और विसंस्थुल शब्दों के स्थ को ठ आदेश होता है । स्थ>ठ — अस्थि (अट्ठी), विसंस्थलं (विसठुलं ) नियम ३२८ (स्त्यान चतुर्थार्थे वा २०३३ ) स्त्यान, चतुर्थ और अर्थ शब्द के संयुक्त को ठ आदेश विकल्प से होता है । त्य7ठ - स्त्यानं ( ठीणं, थीणं) थं 75 – चतुर्थः (चउट्ठो, चउत्थो) अर्थ: (अट्ठी) प्रयोजन नियम ३२६ ( ष्टस्यानुष्ट्रेष्टा - संदष्टे २१३४) उष्ट्र आदि शब्दों को छोडकर ष्ट को ठ आदेश होता है । ट 75- यष्टिः (लट्ठी) मुष्टि: (मुट्ठी) दृष्टि: ( दिट्ठी) सृष्टि (सिट्ठी) पुष्टः (पुट्ठो) कष्टं (कट्ठ) सुराष्ट्रा (सुरट्ठा) इष्ट: ( इट्ठो) अनिष्टं ( अणिट्ठ ) । ष का लोप शेष वर्ण द्वित्व ठ 7 ठ–कोष्ठागारः ( कोट्ठागारो ) सुष्ठु (सुट्ठ) इष्टा ( इट्टा ) । उष्ट्र: ( उट्टो ) । संदष्ट: ( संदट्टो ) । नियम ३३० (स्तब्ध ठ-ढौ २।३६ ) स्तब्ध के स्त को ठ और ब्ध को आदेश होता है । स्त / ठ – स्तब्ध: ( ठड्ढो) नियम ३३१ ( गर्ते ड: २०३५) गर्त शब्द के र्त को ड आदेश होता है । 173 – गर्तः (गड्डो ) ( ट का अपवाद ) नियम ३३२ ( संमर्व-विर्ताद-विच्छ च्छादकपदं मदिते स्य २०३६) इन शब्दों के संयुक्त र्द को ड आदेश होता है । बं 7 ड - संमर्द : ( संमड्डो) विर्ताद : (विअड्डी) विच्छर्दः (1 ( कबड्डो ) (छड्डी) कपर्द ( संमड्डियो) । नियम ३३३ ( गर्वमे वा २।३७) गर्दभ शब्द के र्द को ड आदेश विकल्प से होता है | र्ब 7 ड–गर्दभ: ( गड्डहो, गद्दहो) Jain Education International ( विच्छ्डो) छर्दिः संमदित: मर्दित: ( मड्डिओ) नियम ३३४ ( दग्ध-विदग्ध-वृद्धि-वृद्धे ढः २।४०) दग्ध, विदग्ध, वृद्धि, वृद्ध शब्दों के संयुक्त को ढ आदेश होता है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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