SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 180
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४ संयुक्त व्यंजन परिवर्तन (३) o पीपर पिप्पली लौंग - लवंगो, पउमा पीपरामूल – पिप्पलीमूलं अश्वगंध-- अस्सगंधा वंशलोचन - वंसरोअणा अडूसा -- वासओ चूना चुणं शब्द संग्रह ( औषधि वर्ग १ ) ० जुकाम - पडिसायो स्मृति---सई (स्त्री) स्वच्छ- -अच्छं काली मिर्च - कह मिरिअं सोंठ सुंठी गिलोय - गलोई, वच्छादणी गोखरु—–गोक्खुरो फिटकडी- सोरट्टिया जमालगोटा - सारओ खदिरसार ( कथा ) -- सिखइरो ( सं ) ० Jain Education International उदर-- उअरं कृमि — किमी चामर - सीतं धातु संग्रह आराह-- भक्ति करना आलिंग - गले लगाना आलिंगन करना आरूस - क्रोध करना, रोष करना आलिपपोतना, लेप करना आलंब - --आश्रय लेना, सहार लेना आलक्ख - चिह्न से पहचानना आलव -- बातचीत करना आली - आसक्त होना वीअ - हवा डालना उज्जाल - जलाना --- ० ट, ठ, ड, ढ आदेश नियम ३२३ ( वृत्त प्रवृत्त मृत्तिका पत्तन कदर्थते टः २२६ ) इन शब्दों के संयुक्त को ट आदेश होता है । त 7 ट - वृत्त: ( वट्टो) प्रवृत्तः ( पयट्टो ) मृत्तिका ( मट्टिआ ) पत्तनं ( पट्टणं ) थं 7 ट— कदर्थितः (कवट्टिओ) नियम ३२४ ( तस्याधूर्त्तादौ २।३० ) र्त को ट आदेश होता है । धूर्त्त आदि शब्दों को छोडकर | र्त 7 ट कैवर्त (केवट्टी) वर्ती ( वट्टी ) नर्तकी (नदृद) वर्तुल (बट्टुलो) जत: ( जट्टो) वर्तुलं ( वट्टुलं) राजवर्तकं ( रायवट्टयं ) | नियम ३२५ ( पर्यस्ते थ-टो २२४७) पर्यस्त शब्द के स्त को क्रमशः थ और ट आदेश होता है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy