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संयुक्त व्यञ्जन परिवर्तन (२)
१५६ नियम ३११ (क्षमायां कौ २३१८) क्षमा शब्द पृथिवीवाचक हो तो उसके क्ष को छ आदेश होता है। क्ष>छ-क्षमा (छमा) पृथिवी ।क्ष्मा (छमा) ।
__नियम ३१२ (क्षण उत्सवे २।२०) क्षण शब्द उत्सववाचक हो तो क्ष को छ आदेश होता है। क्ष>छ-क्षणः (छणो) उत्सव ।
नियम ३१३ (रुक्षे वा २०१९) रुक्ष शब्द के क्ष को छ आदेश विकल्प से होता है। क्ष>छ---रुक्षं (रिच्छं) रिक्खं (नियम २९८ से)। स्व>छ-पृथ्वी (पिच्छी) । (नियम ३०६ से)।
नियम ३१४ (स्पहायाम् २।२३) स्पृहा शब्द के स्प को छ आदेश होता है। स्प>छ-स्पृहा (छिहा)।
नियम ३१५ (हस्वात् ध्य-च-त्स-प्सामनिश्चले १२१) ह्रस्व स्वर से परे थ्य, श्च, त्स, प्स को छ आदेश होता है । थ्य >छ-पथ्यं (पच्छं) पथ्या (पच्छा) मिथ्या (मिच्छा)। श्च>E--पश्चिमं (पच्छिम) आश्चर्य (अच्छेरं) पश्चात् (पच्छा) वृश्चिक:
(विछिओ)। रस>छ-उत्साहः (उच्छाहो) उत्सन्नः (उच्छन्नो) चिकित्सति (चिइच्छइ)
मत्सरः (मच्छरो) मत्सरः (मच्छलो) संवत्सरः (संवच्छरो)
संवत्सरः (संवच्छलो)। प्स>छ–लिप्सति (लिच्छइ) जुगुत्सति (जुगुच्छइ) । अप्सरा (अच्छरा)।
नियम ३१६ (सामर्थ्योत्सुकोत्सवे वा २।२२) सामर्थ्य, उत्सुक, उत्सव -इन शब्दों के संयुक्त को छ आदेश विकल्प से होता है । ध्य >छ–सामर्थ्यम् (सामच्छं, सामत्थं)। त्स>छ-उत्सुकः (उच्छुओ, उसुओ) । उत्सवः (उच्छवो, ऊसवो) ।
. नियम ३१७ (च-य्य-याँ जः २।२४) द्य, य्य और र्य को ज आदेश होता है। घ>ज-मद्यम् (मज्ज) अवद्यम् (अवज्ज) वेद्यो (वेज्जो) द्युतिः (जुई)
द्योत: (जोओ) अद्य (अज्ज)। ग्य >ज--जय्यो (जज्जः) शय्या (सेज्जा)। र्य>ज-भार्या (भज्जा) कार्यम् (कज्जं) वय॑म् (वज्ज) आर्यः (अज्जो)
पर्यायः (पज्जाओ) पर्याप्तम् (पज्जत्तं) मर्यादा (मज्जाया) आर्यपुत्रः (अज्जपुत्तो)।
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