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पोदिना - पुदिणो, रुइस्सो ( सं ) चौलाई -- तंदुलेज्जगो गोभी - गोजीहा (सं) तोरई - घोसाडइ, घोसालइ ( सं ) कोहला - कुम्हडी
शकरकंदी - रत्तालु (सं) मकोय --- कागमाई (सं)
फली- सिंबा
सांगरी - समीफलं
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चटनी - अवलेहो घाव - वणो
संयुक्त व्यंजन परिवर्तन ( २ )
शब्द संग्रह (शाक वर्ग २ )
धनिया – कुत्थंभरी भिंडी - भिण्डा (सं) टिंडा - डिडिसी (सं) गाजर - गाजरं, गिंजणं ( सं ) हल्दी - हलद्दा, हलद्दी मटर – कलायो
चोपतिया साग-सोत्थिओ
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सूरनकंद---सूरणं केर—करीरफलं
शाक
- सागो
अपक्व — आमो
धातु संग्रह
आयास- - तकलीफ देना, खिन्न करना
आरज्झ-आराधना करना आरड -- चिल्लाना, बूम मारना आरस - चिल्लाना, बूम मारना आयाव - आतापना लेना, सूर्य के ताप में शरीर को थोडा तपाना
लेना
आया-- आना आया ( आ + दा) ग्रहण करना, आयाम -- शौच करना, शुद्धि करना आयाम -- देना, दान करना आयार ( आ + कारय् ) – बुलाना आह्वान करना
छ, ज, झ, ञ आदेश
नियम ३१० ( छोक्ष्यादौ २।१७ ) अक्षि आदि शब्दों के संयुक्त को छ आदेश होता है ।
दक्ष: (दच्छो)
> छ - अक्षि (अच्छिं) इक्षुः (उच्छू) लक्ष्मी ( लच्छी ) कक्ष: ( कच्छो) क्षुतं (छीअं) क्षीरं (छोरं) सदृक्ष : ( सरिच्छो) वृक्ष: ( वच्छो) मक्षिका ( मच्छिआ ) क्षेत्रं (छेत्तं) क्षुध् ( छुहा) कुक्षि: ( कुच्छी) वक्षस् ( वच्छं ) क्षुण्ण: ( छुण्णो क्षार : ( छारो) कौक्षेयकं ( कुच्छेअयं ) क्षुरः (छुरो) क्षतं (छ) सादृश्यं ( सारिच्छं) ।
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कक्षा ( कच्छा ) उक्षा (उच्छा )
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