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________________ ४३ पोदिना - पुदिणो, रुइस्सो ( सं ) चौलाई -- तंदुलेज्जगो गोभी - गोजीहा (सं) तोरई - घोसाडइ, घोसालइ ( सं ) कोहला - कुम्हडी शकरकंदी - रत्तालु (सं) मकोय --- कागमाई (सं) फली- सिंबा सांगरी - समीफलं 01 चटनी - अवलेहो घाव - वणो संयुक्त व्यंजन परिवर्तन ( २ ) शब्द संग्रह (शाक वर्ग २ ) धनिया – कुत्थंभरी भिंडी - भिण्डा (सं) टिंडा - डिडिसी (सं) गाजर - गाजरं, गिंजणं ( सं ) हल्दी - हलद्दा, हलद्दी मटर – कलायो चोपतिया साग-सोत्थिओ Jain Education International सूरनकंद---सूरणं केर—करीरफलं शाक - सागो अपक्व — आमो धातु संग्रह आयास- - तकलीफ देना, खिन्न करना आरज्झ-आराधना करना आरड -- चिल्लाना, बूम मारना आरस - चिल्लाना, बूम मारना आयाव - आतापना लेना, सूर्य के ताप में शरीर को थोडा तपाना लेना आया-- आना आया ( आ + दा) ग्रहण करना, आयाम -- शौच करना, शुद्धि करना आयाम -- देना, दान करना आयार ( आ + कारय् ) – बुलाना आह्वान करना छ, ज, झ, ञ आदेश नियम ३१० ( छोक्ष्यादौ २।१७ ) अक्षि आदि शब्दों के संयुक्त को छ आदेश होता है । दक्ष: (दच्छो) > छ - अक्षि (अच्छिं) इक्षुः (उच्छू) लक्ष्मी ( लच्छी ) कक्ष: ( कच्छो) क्षुतं (छीअं) क्षीरं (छोरं) सदृक्ष : ( सरिच्छो) वृक्ष: ( वच्छो) मक्षिका ( मच्छिआ ) क्षेत्रं (छेत्तं) क्षुध् ( छुहा) कुक्षि: ( कुच्छी) वक्षस् ( वच्छं ) क्षुण्ण: ( छुण्णो क्षार : ( छारो) कौक्षेयकं ( कुच्छेअयं ) क्षुरः (छुरो) क्षतं (छ) सादृश्यं ( सारिच्छं) । ) For Private & Personal Use Only कक्षा ( कच्छा ) उक्षा (उच्छा ) www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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