________________
१४५
मध्यवर्ती सरल व्यञ्जन परिवर्तन (४) धातु का प्रयोग करो
विमल कलागृह देखता है । वह सूर्य की रश्मि में सात रंग देखता है । साधक स्वयं अपना निग्रह करता है। सास बहू को ताडती है । जल से भीगे शरीर का साधु संस्पर्श न करे। वह अपने नए घर में जाता है। वह घी को गर्म करती है। पक्षी शिकारी (लुद्धगो) से त्रास पाते हैं।
प्रश्न १. म व्यंजन को कौन-कौन सा व्यंजन आदेश होता है ? २. नीचे लिखे शब्दों में बताओ इस पाठ के अनुसार किस व्यंजन को
क्या आदेश हुआ है ? बिइज्जो, कणवीरो, उत्तरिज्ज, सच्छाह, पिहडो, भेडो, वलुणो। ३. उद्यम, राख, स्वागत, मर्यादा, मनोरथ, स्वभाव, संगति, पथ्य, क्षेत्र,
श्रवण-इन शब्दों के लिए प्राकृत शब्द बताओ। ४. दरिस, दम, ताव, ताड, वच्च, संफुस, दिक्ख धातुओं के अर्थ बताओ
और उनका अपने वाक्यों में प्रयोग करो। ५. डंडी, अंतरिज्ज, अद्धोरुगो, वासकडी, पडपुत्तिया, कंचुओ, गेविज्जं, घंटिया, कडिसुत्तं-इनका वाक्य में प्रयोग करो और हिन्दी में अर्थ बताओ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org