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________________ ३८ मध्यवर्ती सरल व्यंजन परिवर्तन (३) मोती की माला- - हारो, पलम्बं कान की बाली - कुंडलं, कण्णाआसं A (दे० ) टिकुली -- णडालाभूसणं कंठा - कंठमुरयो, कंठमुही नथ – णासाभरणं शब्द संग्रह (आभूषण वर्ग) मंगलसूत्र – कंठसुत्तं हाथ का कडा - कडगो (सं) हंसुलीगविज्जं मुकुट, सिरपंच-मउडो पलाय - भागना थु - स्तुति करना परिआल - लपेटना थिम - गीला करना * होने पर । त 7 ड - वेडिसो ( वेतस: ) । मणियों से ग्रथित हार —एगावली रत्नों का हार — रयणावली भुजबंद, बाजूबंद — केउरं लच्छा -- पायाभरणं घुंघुरु - घंटिया अंगूठी - अंगुलीयं, अंगुलिज्जगं बंगडी कंकणं, कंकणी चूडी - वलयं, चूडो (दे० ) कंदोरो—कडिसुतं धातु संग्रह नियम २४३ ( इत्वे वेतसे १२०७ ) वेतस के त कोड होता है, इ पमिलाय - मुरझाना पम्हअ - भूल जाना पत्थर -- बिछाना पsिहण --- प्रतिघात करना नियम २४४ (गर्भितातिमुक्तके णः ११२०८ ) गर्भित और अतिमुक्तक शब्द के त कोण होता है । त7 –गब्भिणो (गर्भितः ) अणिउ तयं ( अतिमुक्तकम्) । Jain Education International नियम २४५ (सप्ततौ रः १।२१०) सप्तति शब्द के त को र होता है । तर - सत्तरी ( सप्ततिः) । नियम २४६ ( अतसी - सातवाहने लः १।२११) अतसी और सातवाहन शब्द के त को ल होता है । त 7 ल - अलसी ( अतसी) सालवाहणो ( सातवाहनः ) । नियम २४७ (पलिते वा ११२१२ ) पलित शब्द के त को ल विकल्प For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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