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से होता है ।
त 7 ल -- पलिलं, पलिअं ( पलितम् ) ।
नियम २४८ ( पीते वो ले वा १।२१३) पीत शब्द के त को व विकल्प से होता है, स्वार्थ में होने वाला ल प्रत्यय परे हो तो ।
प्राकृत वाक्यरचना बोध
7 व पीवलं पीअलं (पीतलम् ) ।
नियम २४६ वितस्ति- वसति भरत - कातर-मातुलिंगे हः ११२१४ ) वितस्ति, वसति, भरत, कातर, मातुलिंग - इन शब्दों के त को ह होता है । त 7 ह -- विहत्थी ( वितस्ति:) वसही ( वसतिः ) भरहो ( भरतः ) काहलो ( कातरः ) माहुलिंगं ( मातुलिंगम् ) ।
नियम २५० ( मेथि - शिथिर - शिथिल प्रथमे थस्य : १।२१५ ) मेथि, शिथिर, शिथिल, प्रथम इन शब्दों के थ को ढ होता है ।
थ> ढ – मेढी (मेथिः) सिढिलो (शिथिर: ) सिढिलो (शिथिलः) पढमो ( प्रथम : ) । नियम २५१ ( निशीथ - पृथिव्योर्वा १/२१६) निशीथ और पृथिवी
शब्दों के थ को ढ विकल्प से होता है ।
थ> 8 - निसीढो, निसीहो ( निशीथः) पुढवी, पुहवी ( पृथिवी ) । नियम २५२ ( पृथक धो वा १।१८८ ) पृथक् शब्द के थ को ध विकल्प से होता है ।
> - पिधं, पुधं पिहं, पुहं ( पृथक् ) ।
नियम २५३ ( रुदिते दिना ण्णः १।२०६) रुदित शब्द के दित को ण्ण आदेश होता है ।
दितण-रुणं ( रुदितम् ) ।
नियम २५४ ( संख्या - गद्गदे रः १।२१६ ) संख्यावाची शब्द और गद्गद शब्द के द को र होता है ।
द>र
र―― एआरह ( एकादश ) बारह ( द्वादश ) तेरह ( त्रयोदश ) गग्गरं ( गद्गदम् ) ।
नियम २५५ ( कदल्यामद्रुमे १।२२० ) कदली शब्द के द को र होता है यदि द्रुमवाची न हो तो ।
दर - करली ( कदली) केला ।
नियम २५६ ( प्रदीपि - वोह वे लः १०२२१) प्रपूर्वक दीप धातु और दोहद के द को ल होता है ।
> ल - पलीव (प्रदीप्यते) दोहलो ( दोहद : ) ।
नियम २५७ ( कदम्बे वा १।२२२ ) कदम्ब शब्द के द को ल विकल्प से होता है ।
कलम्बो, कम्बो ( कदम्ब : ) ।
नियम २५८ ( दीपो धो वा ११२२३) दीप् धातु के द को ध विकल्प
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