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________________ १३८ से होता है । त 7 ल -- पलिलं, पलिअं ( पलितम् ) । नियम २४८ ( पीते वो ले वा १।२१३) पीत शब्द के त को व विकल्प से होता है, स्वार्थ में होने वाला ल प्रत्यय परे हो तो । प्राकृत वाक्यरचना बोध 7 व पीवलं पीअलं (पीतलम् ) । नियम २४६ वितस्ति- वसति भरत - कातर-मातुलिंगे हः ११२१४ ) वितस्ति, वसति, भरत, कातर, मातुलिंग - इन शब्दों के त को ह होता है । त 7 ह -- विहत्थी ( वितस्ति:) वसही ( वसतिः ) भरहो ( भरतः ) काहलो ( कातरः ) माहुलिंगं ( मातुलिंगम् ) । नियम २५० ( मेथि - शिथिर - शिथिल प्रथमे थस्य : १।२१५ ) मेथि, शिथिर, शिथिल, प्रथम इन शब्दों के थ को ढ होता है । थ> ढ – मेढी (मेथिः) सिढिलो (शिथिर: ) सिढिलो (शिथिलः) पढमो ( प्रथम : ) । नियम २५१ ( निशीथ - पृथिव्योर्वा १/२१६) निशीथ और पृथिवी शब्दों के थ को ढ विकल्प से होता है । थ> 8 - निसीढो, निसीहो ( निशीथः) पुढवी, पुहवी ( पृथिवी ) । नियम २५२ ( पृथक धो वा १।१८८ ) पृथक् शब्द के थ को ध विकल्प से होता है । > - पिधं, पुधं पिहं, पुहं ( पृथक् ) । नियम २५३ ( रुदिते दिना ण्णः १।२०६) रुदित शब्द के दित को ण्ण आदेश होता है । दितण-रुणं ( रुदितम् ) । नियम २५४ ( संख्या - गद्गदे रः १।२१६ ) संख्यावाची शब्द और गद्गद शब्द के द को र होता है । द>र र―― एआरह ( एकादश ) बारह ( द्वादश ) तेरह ( त्रयोदश ) गग्गरं ( गद्गदम् ) । नियम २५५ ( कदल्यामद्रुमे १।२२० ) कदली शब्द के द को र होता है यदि द्रुमवाची न हो तो । दर - करली ( कदली) केला । नियम २५६ ( प्रदीपि - वोह वे लः १०२२१) प्रपूर्वक दीप धातु और दोहद के द को ल होता है । > ल - पलीव (प्रदीप्यते) दोहलो ( दोहद : ) । नियम २५७ ( कदम्बे वा १।२२२ ) कदम्ब शब्द के द को ल विकल्प से होता है । कलम्बो, कम्बो ( कदम्ब : ) । नियम २५८ ( दीपो धो वा ११२२३) दीप् धातु के द को ध विकल्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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