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मध्यवर्ती सरल व्यंजन परिवर्तन (२)
१३५ को ह विकल्प से होता है, उसके योग में र को ड होता है । 67ह-पिहडो, पिढरो (पिठरः) ।
नियम २४१ (वेणौ णो वा ११२०३) वेणु शब्द के ण को ल विकल्प से होता है। णाल–वेलू, वेणू (वेणुः) ।
नियम २४२ (प्रत्यादी डः १२०६) प्रति आदि शब्दों के त को ड होता है। त ? ड-पडिवन्न (प्रतिपन्नम् ) पडिहासो (प्रतिहासः) पडिहारो (प्रतिहारः)
पाडिप्फद्धी (प्रतिस्पर्धा), पडिसारो (प्रतिसारः) पडिनिअत्तं (प्रतिनिवृत्तम्) पडिमा (प्रतिमा) पडिवया (प्रतिपत्) पडंसुआ (प्रतिश्रुत्) पडिकरइ (प्रतिक रोति) पहुडि (प्रभृतिः) पाहुडं (प्राभृतम्) वावडो (व्यापृतः) पडाया (पताका) बहेडओ (बिभीतक:) हरडइ (हरीतकी) मडयं (मृतकम् ) । दुक्कडं (दुष्कृतम्) सुकर्ड (सुकृतम्)
आहडं (आहृतम्) अवहडं (अवहृतम्) । प्रयोग वाक्य
धणवालो सिरक्कं न परिहाइ । उत्तरिज्जेण अणु मिज्जइ अयं विउसो अत्थि । अप्पईणस्स मुल्लो दाउ अहं न समत्थो मि। तुज्झ वासकडी सुद्धकप्पासेण णिम्मिआ अस्थि । सिसिरे निसाए नीसारेणावि सीयं संतावेइ । किं तुज्झ पिआमहो उण्हीसं इच्छइ ? पत्तआरो रायिंदो सितं पायजामं कंचुअं य पउजइ। किं तुज्झ पासे पडपुत्तिया नत्थि । बंभचारिणो पइसमयं अवअच्छे रक्खंति । सो नत्तवेसम्मि सुअइ । णयरे सिरत्ताणस्स आवस्सगया भवइ । सामाइयम्मि सावगा पच्छ्यं धरइ। पुरिसाण सरीरे अज्जत्ता पावरओ न दिस्सइ । अहं उवहाणं अंतरेणावि सुहेण सुआमि । बाला अहोवत्थमवि न परिहांति । तुज्झ पिअस्स पासे केत्तिलाओ बुहइयाओ संति । सो ण्हाणस्स पच्छा अंगपुंछणेण सरीरं सुस्सावेइ (सुखाता है ।) धातु प्रयोग
तुज्झ कहणमिमं बाहइ। धणेण लोआ धम्माओ फेल्लुसंति । पुरिसा साहणीओ न करिस्संति । अज्ज तुज्झ सिरं कहं फट्टइ ? सामी सुणयं पोसइ । तुमं परिसाए सभावा पागडहि । अज्ज को कप्पासं पिंजिहिइ ? माअरा अजोग्गमवि पुत्तं पालइ । सुवे अहं अज्झयणं आरंभिहिमि । प्राकृत में अनुवाद करो
तुम धोती क्यों नहीं पहनते हो ? कुरता शरीर के लिए लाभक र है । तुम्हारी कमीज का रंग क्या है ? आजकल पगडी बहुत कम लोग रखते हैं । टोपी धूप से सुरक्षा करती है । टोप सिर की सुरक्षा करता है। मेरा तोलिया
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