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________________ १३४ प्राकृत वाक्यरचना बोध काम-चन्दिमा (चन्द्रिका) नियम २३० (निकष-स्फटिक-चिकुरे हः १११८६) निकष, स्फटिक और चिकुर शब्दों के क को ह होता है। काह-निहसो (निकष:) फलिहो (स्फटिक:) चिहुरो (चिकुरः) ! नियम २३१ (शृङखले खः कः १११८६) शृङखल शब्द के ख को क होता है। ख7 क-सङ कलं (शृङखलम् ) नियम २३२ (पुन्नाग-भागिन्योर्गों मः १।१६०) पुन्नाग और भागिनी शब्दों के ग को म होता है । ग/म-पुन्नामाइँ (पुन्नागानि) भामिणी (भागिनी) नियम २३३ (छागे लः १११६१) छाग शब्द के ग को ल होता है । ग7ल--छालो (छागः) छाली (छागी) स्त्री। नियम २३४ (ऊत्वे दुर्भग-सुभगे वः १।१६२) दुर्भग और सुभग शब्दों में ऊ होने पर ग को व होता है। ग7व-दूहवो (दुर्भगः) सूहवो (सुभगः) । (क्वचिच्चस्य जः १११७७ की वृत्ति) कहीं च को ज होता है। च7 ज-पिसाजी (पिशाची) (आर्षे अन्यदपि दृश्यते १११७७ को वृत्ति) आउण्टणं (आकुञ्चनम् ) यहां च को ट हुआ है। नियम २३५ (खचित-पिशाचयोश्च स-ल्लो वा १११९३) खचित के च को स और पिशाच के च को ल्ल आदेश विकल्प से होता है । च 7ल्ल, स-खसिओ खइओ (खचितः) पिसल्लो, पिसाओ (पिशाच:) नियम २३६ (सटा-शकट-कैटभे ढः १११६६) सटा, शकट, कैटभ शब्दों के ट को ढ होता है। 278-सढा (सटा) सयढो (शकट:) केढवो (कैटभः) । नियम २३७ (स्फटिके लः १११६७) स्फटिक शब्द के य को ल होता 27 ल-फलिहो (स्फटिक:) । नियम २३८ (चपेटा-पाटौ वा १११९८) चपेटा शब्द और पट् धातु (जिन्नन्त) के ट को ल विकल्प से होता है। 27 ल-चविला, चविडा (चपेटा) फालेइ, फाडेइ (पाटयति)। __ नियम २३६ (अङ कोठे ल्लः ११२००) अंकोठ शब्द के ठ को ल्ल आदेश होता है। 87ल्ल-अङ कोल्लो (अङकोठः) । नियम २४० (पिठरे हो वा रश्च डः ११२०१) पिठर शब्द के ठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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