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मध्यवर्ती सरल व्यंजन परिवर्तन (१)
१२६ जालोप–रययं (रजतम्) पयावई (प्रजापतिः) गओ (गजः)। . त >लोप-लया (लता) विआणं (वितानम्) रसायलं (रसातलम्) । द7 लोप-गया (गदा) मयणो (मदनः) जइ (यदि) । 47 लोप-रिऊ (रिपुः) सुउरिसो (सुपुरुषः) । य 7 लोप-विओओ (वियोग:) वाउणा (वायुना) । 47 लोप-लायण्णं (लावण्यम्) विउहो (विबुधः) ।
नियम २१७ (अवर्णों य श्रुतिः १११८०) अ तथा आ से परे व्यंजन के लोप होने के बाद शेष अ या आ रहे तो उसे अ के स्थान पर य और आ के स्थान पर या हो जाता है। उसे यति कहते हैं। अ7य-तित्थयरो, नयरं, कायमणी, रययं, पयावई, रसायलं, मयणो, गया,
दयालू, लायण्णं ।
नियम २१८ (नावात पः १३१७९) अवर्ण से परे अनादि प का लोप नहीं होता है।
नियम २१६ (पो वः ११२३१) स्वर से परे असंयुक्त और अनादि प को व होता है। प74-सवहो (शपथः) सावो (श्रापः)। उवसग्गो (उपसर्ग:) पईवो
(प्रदीपः) पावं (पापम्) उवमा (उपमा)।
नियम २२० (ख-घ-थ-ध-माम् ॥१८७) स्वर से परे असंयुक्त और अनादि ख, घ, थ, ध और भ को ह हो जाता है। खगह-साहा (शाखा) मुह (मुखम् ) मेहला (मेखला)। घ7ह-मेहो (मेघः) जहणं (जघनम्) माहो (माघः) । थाह-नाहो (नाथः) आवसहो (आवसथः) मिहुणं (मिथुनम्)। ध7ह–साहू (साधुः) बहिरो (बधिरः) इन्दहणू (इन्द्रधनुः) । भाह-सहा (सभा) सहावो (स्वभाव:) नहं (नभः)।
नियम २२१ (टो डः १११६५) स्वर से परे असंयुक्त अनादि ट को ड होता है। 27T-नडो (नटः) भडो (भट:) घडो (घट:) घडइ (घटते) ।
नियम २२२ (ठो : ११६६) स्वर से परे असंयुक्त अनादि ठ को ढ होता है। 876-मढो (मठः) सढो (शठः) पढइ (पठति) कमढो (कमठः) ।
नियम २२३ (डोलः १२२०२) स्वर से परे असंयुक्त अनादि ड को ल होता है। 17ल-तलायं-- (तडागम्) गरुलो (गरुडो)।
नियम २२४ (नो णः ११२२८) स्वर से परे असंयुक्त अनादि न को
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