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________________ ३६ मध्यवर्ती सरल व्यंजन परिवर्तन ( १ ) वस्त्र — वत्थं, वसणं ऊनी वस्त्र - रोमजं, ओण्णेयं मोटा वस्त्र - पत्थीणं धोया वस्त्र - धोअवत्थं जोड़े हुए वस्त्र --- - डंडी पेटीकोट - अंतरिज्जं ओढनी -- ओयड्ढी (दे.) लहंगा-चलणी, चंडातकं सलवार- सूअवरो (सं) o जनता • जणया मूल्य - मुल्लो अणुकड्ढ — खींचना अणुग्ग - कृपा करना अच्छ— बैठना शब्द संग्रह (वस्त्रवर्ग १ ) परिहा—पहरना बुक्क - भूकना ( कुत्ते का ) मध्यवर्ती व्यंजन सूती वस्त्र - कप्पासं रेशमी वस्त्र — कोसेयं बूटेदार कौसुंभ वस्त्र — घट्टंसुओ बारीक वस्त्र --- - पम्हयो कोरा वस्त्र -- अणाय वत्थं साडी - साडी घाघरा - घग्घरं चोली, ब्लाउज - -कंचुलिया अण्डरवीयर, चड्डी - अद्धोरुगो अड्ढोरुगो सेवा-परिचरणा Jain Education International धातु संग्रह अणु गिल - भक्षण करना अणुचर - सेवा करना बंध - बांधना बिह-पोषण करना शब्द के मध्य में होने वाले यानी दो स्वरों के बीच में होने वाले सरल व्यंजनों का परिवर्तन मध्यवर्ती सरल व्यंजन परिवर्तन कहलाता है । उनके नियम इस प्रकार हैं नियम २१६ (क-ग-च-ज-त-द-पय-वां प्रायो लुक् १।१७७ ) स्वर से परे अनादिभूत तथा असंयुक्त क, ग, च, ज, त, द, प, य, व — इन व्यंजनों का प्राय लोप हो जाता है । क 7 लोप -- लोओ (लोक: ) तित्थयरो ( तीर्थकर : ) सयढो ( शकट : ) । ग 7 लोप -- नयरं ( नगरम् ) भइणी ( भगिनी) नओ (नगः ) । च 7 लोप -- कयग्गहो ( कचग्रहः ) वयणं ( वचनम् ) कायमणी ( काचमणिः ) | ० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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