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________________ १२० प्राकृत वाक्यरचना बोध नियम १८६ ( ऊत्सोच्छ्वासे १।१५७) सोच्छ्वास के ओ को ऊ होता है । ओ / ऊ - सूसासो ( सोच्छ्वासः ) नियम १८७ ( गव्य आभः १।१५८ ) गो शब्द के ओ को अउ और आअ आदेश होता है । ओ 7 अउ, आअ -- गउओ, गाओ (गौः) स्त्रीलिंग में गउआ नियम १८८ ( औत ओत् १।१५६ ) शब्द के पहले (आदि) ओकार को ओकार हो जाता है । औ 7 ओ --- कोमुई ( कौमुदी) जोव्वणं ( यौवनं ) कोत्थु हो ( कौस्तुभः) कोसंबी ( कौशाम्बी) कोञ्चो ( क्रौञ्चः ) कोसिओ ( कौशिकः ) नियम १८६ ( उत्सौन्दर्यादौ १११६०) सौन्दर्य आदि शब्दों के ओ को उ होता है । ओ 7 उ — सुंदेरं, सुन्दरिअं ( सौन्दर्यं ) मुञ्जायणो (मौञ्जायनः) सुण्ढो ( शौण्ड ) सुद्धोअणी (शौद्धोदनी) दुवारिओ ( दौवारिकः) सुगंध - तणं (सौगन्ध्यं ) पुलोमी ( पौलोमी ) सुवण्णिओ ( सौवर्णिकः ) नियम १६० (कौक्षेयक वा १।१६१) कौक्षेयक शब्द के औ को उद् विकल्प से होता है । औ/उ—कुच्छेअयं, कोच्छेअयं ( कौक्षेयकम् ) नियम १०१ ( अउ : पौरादौ च १।१६२) कौक्षेयक और पौर आदि शब्दों के औ को अउ आदेश होता है । - उच्छेअयं ( कौक्षेयकं ) पउरो (पौरः) कउरवो ( कौरवः ) कउसलं (कौशलम् ) परिसं [पौरुषम् ] गउडो [गौड: ] मडली [ मौलिः ] मउणं [ मौनम् ] सउहं [ सोधम् ] सउरा [ सौराः ] कला [ कौला: ] नियम १६२ ( आच्च गौरवे १११६३) गौरव शब्द के औ को आ और अउ आदेश होते है । औ 7 आ-- गारवं, गउरखं [गौरवम् ] औ 7 अउ --- नियम १९३ ( नाव्यावः १।१६४ ) नौ शब्द के औ को आव आदेश होता है । औ / आव - नावा [नौ: ] प्रयोग वाक्य सो विज्जं पढिउ णिच्चं विज्जालयं गच्छइ । अभयो कया महाविज्जलयं पविस्सइ ? किं विभा कक्खाए पढमा भविस्सर ? एगम्मि दिणे खाइ केत्ति समयविभागा भवंति । विमला जेणविस्सभारइए विस्सविज्जालयस्स छत्ता अत्थि । संपइ अस्स विस्सविज्जालयस्स महाकुलवई सिरीसिरीचंदो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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