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________________ स्वरादेश (११) १२१ रामउरिआ अत्थि । तुज्झ महाविज्जालयस्स पहाणसिक्खवओ को अत्थि ? ण्हायअछत्तो विजयो अइविचक्खणो अस्थि । पण्हपत्ताई कया पुण्णाइं भविहिति ? उत्तरपत्ताइ को को निरिक्खिस्संति ? गुरु विज्जट्टिणो अणुसासइ । आणंदो लेहणीए धणी अस्थि । आवणे अणेगेसु रंगेसु मसी लभइ। अज्जत्ता सत्तवरिसस्स बालअस्स पासे वेटुगे पोत्थयाण भारो बहू भवइ। कल्लं पाढसालाए णिरिक्खओ आगमिहिइ । अमुम्मि महाविज्जालयम्मि वागरणस्स विभागाज्झक्खो को अत्थि ? परिक्खाए भूओ छत्ताण सिरे णच्चइ । तुम अवगासपत्तं लिह । उवज्झायेण फलगे किं लिहिलं ? अस्थि पण्हो विज्जालये छत्ताण अणुसासणस्स सव्वेसिं समक्खे । धातु का प्रयोग णोहा सासूए एगमवि वक्कं न सहइ तक्खणं उत्तरइ। रमेसो बालो अत्थि तहवि पाढसालाए पोत्थयं लेहणि वा अवस्सं मुसइ । असोगो मोहणं धारइ । धणवालो पइदिणं अइगच्छइ । सुसीला गुरुं अंचइ अच्चइ वा। अग्गित्तो फुल्लिगा निक्कसंति । तुमं कल्लं वाराणसिं पहुच्चिहिसि । तुज्झ सव्वं आणं हं अंगीकरेमि । भारहो कस्स देसस्स अवरि न अक्कमइ । गुरुणो आएसं अहं न अइक्कमामि । छत्ता परिक्खाए अणुकरेंति । प्राकृत में अनुवाद करो _हमारा विद्यालय गांव के बाहर है। कक्षा में आज अध्यापक नहीं है। विद्या के बिना सम्मान नहीं मिलता ! पुस्तक को अच्छी तरह पढो। कालेज के छात्र आज कहां गए हैं ? आज किसी ने छुट्टीपत्र नहीं दिया। वह कलम से पत्र लिखता है । इस वेतन से घर का खर्च भी नहीं चलता। परीक्षा में उत्तीर्ण होना सरल नहीं है। मेरा भाई कॉलेज में पढता है । कक्षा में बुद्धिमान (बुद्धिमंत) लडका कौन है ? अध्यापक विद्यार्थियों को क्यों मारता है ? प्रिंसिपल का अनुशासन लडके मानते हैं। तुम कौन से कालांश में पढाते हो। मैं स्नातक की परीक्षा में उत्तीर्ण हूं। हमारे प्रश्नपत्र स्कूल से बाहर के अध्यापकों ने बनाये हैं। हमारे उत्तरपत्रों को मैं नहीं देखूगा। विश्वविद्यालय का महत्त्व [महत्तणं] तुम नहीं जानते हो। मेरे वस्ते में तुम्हारी पुस्तकें कहां से आई ? इन्सपेक्टर ने मुझे एक प्रश्न पूछा। विभागाध्यक्ष होना सरल कार्य नहीं है । एक दिन तुम भी कुलपति बनोगे । छुट्टीपत्र के बिना स्कूल में न जाना अच्छा नहीं है । अध्यापक बोर्ड पर लिखकर अपने विषय को सरलता से समझाता है। धातु का प्रयोग करो तुम्हारे प्रश्न का मैं उत्तर नहीं दूंगा। घडे से पानी निकलता है। वह परसों यहां पहुंचेगा । दिनेश आज्ञा का उल्लंघन नहीं करता है। बच्चे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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