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स्वरादेश (४)
विकल्प से होता है । सुअं, किसुअं ( किंशुकम् )
नियम ११६ [ मिरायाम् ११५७] मिरा शब्द के इकार को एकार
होता है ।
इ7 ए - मेरा (मिरा )
६३
नियम ११७ [पथि पृथिवी प्रतिक्षुन्मूषिक हरिद्राबिभीतकेष्वत् १२८८ ] पथिन्, पृथिवी, प्रतिश्रुत्, मूषिक, हरिद्रा और बिभीतक--- इन शब्दों के आदि इकार को अकार होता है
।
7 अ --- पहो ( पन्थाः ), पुहई, पुढवी ( पृथिवी ), पडंसुआ ( प्रतिश्रुत्) मूसओ ( मूषिकः ) हलद्दा ( हरिद्रा ), बहेडओ ( बिभीतक : )
नियम ११८ [ शिथिलेङ्ग, देवा ११८६ ] शिथिल और इङ्ग ुद शब्द के आदि इकार को अकार विकल्प से होता है ।
इ / असढिलं सिढिलं (शिथिलम् ) । अङ्गुअं, इङ्गुअं (इङ्गुदम्)
नियम ११९ [ तित्तिरौ रः १६०] तित्तिरि शब्द में रि के इकार को अकार होता है ।
इ 7 अ -- तित्तिरो ( तित्तिरिः )
नियम १२० [ इतौ तो वाक्यादौ २२६१] वाक्य के आदि में इति शब्द के ति के इकार को अकार हो जाता है । इअ जम्पिआवसाणे
नियम १२१ (ई जिह्वा सिंह त्रिंशद् विंशतो त्या ११६२] जिह्वा और सिंह शब्द के इकार तथा त्रिशद् और विशति के ति को ईकार होता है । जीहो ( जिह्वा) सीहो ( सिंहः ) तीसा (त्रिंशत् ) । वीसा ( विंशतिः )
नियम १२२ [र्लुकि निरः २०६३ ] निर् उपसर्ग के र् का लोप होने के बाद नि के इकार को ईकार हो जाता है ।
इ 7 ई - नीसरइ (निःसरति ) नीसासो ( निःश्वासः )
नियम १२३ ( द्विन्योरत् १६४ ] द्विशब्द और नि उपसर्ग के इकार को उकार होता है ।
इ 7 उदुविहो ( द्विविध: ) णुमज्जइ (निमज्जति)
नियम १२४ [ प्रवासीक्षो १।६५ ] प्रवासिन् और इक्षु शब्द के इकार को उकार होता है । पावासुओ ( प्रवासी) उच्छू (इक्षुः )
नियम १२५ [ युधिष्ठिरे वा १२६६ ] युधिष्ठर शब्द के इकार को उकार विकल्प से होता है ।
इ 73 – जहुट्टिलो, जहिट्ठिलो ( युधिष्ठर: )
नियम १२६ [ ओच्च द्विधा कृगः १६७ ] द्विधा शब्द के साथ कृन् धातु का प्रयोग हो तो द्विधा के इकार को ओकार और उकार हो जाता है ।
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