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स्वरादेश (४) इ को आदेश
शब्द संग्रह (जैनपारिभाषिक १) सर्वज्ञ---सव्वण्णू वीतराग-वीयराओ, वीयरागो, साधु,श्रमण-समणो, साहू साध्वी-समणी, आचार्य---आयरिओ श्रावक- सावगो, समणोवासगो श्राविका-साविया कर्म---कम्म राग-रागो
द्वेष-दोसो मृत्यु-मच्चु
आत्मा--अप्पा चतुर्मास---चाउमासो संथारा-अणसणं धातु संग्रह
उवास-उपासना करना जुज----जोडना, संयुक्त करना सोह--शुद्ध करना, सोधना हण---.मारना मन्न-मानना, स्वीकारना पवस---प्रवास करना ओप्प-पालिश करना, चमक देना उचिट्ठ-सेवा में उपस्थित रहना विक्के-बेचना, विक्रय करना पील, पीड---पीडना, पीलना अव्यय संग्रह
मा (मा) नहीं, मत, तओ, तत्तो (ततः) उससे, उसके बाद मुआ, मुसं, मूसा, मोसा (मृषा) मिथ्या, झूठ, असत्य हु, खु, खो (ख'लु) निश्चय मुहा-व्यर्थ
अस धातु के रूप याद करो । देखो-परिशिष्ट २ संख्या ३, स्वरादेश
इ को ए, अ, ई, उ, ओ आदेश
नियम ११४ [इत एव् वा १०८५] इकार से परे संयोग हो तो इकार को एकार विकल्प से होता है। इ/ए----पेण्ड, पिण्डं (पिण्डम्) धम्मेल्लं, धम्मिल्लं (धम्मिल्लम्)
बेल्लं, बिल्लं (विल्वम्) सेन्दूरं, सिन्दूरं (सिन्दूरम्) वेण्हू, विण्हू (विष्णुः) पेटु, पिट्ठ (पिष्टम्) नियम ११५ [किंशुके वा १८६] किंशुक शब्द के इकार को एकार
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