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प्राकृत वाक्यरचना बोध
संठविओ, संठाविओ (संस्थापितः) नराओ, नाराओ (नाराच:) पययं, पाययं (प्राकृतम्) बलया, बलाया (बलाका) तलवेण्ट, तालवेण्ट,
कुमरो, कुमारो (कुमार:) तलवोण्टं तालवोण्टं (
i i ) खइरं, खाइरं (खादिरम्) हलिओ, हालिओ (हालिकः) नियम ६६ (घन वृद्धर्वा १६८) घन् प्रत्यय से वृद्धि होकर आकार बना है उसके पहले आ को अ विकल्प से होता है। आ74-पवहो, पवाहो (प्रवाहः)। पयरो, पयारो (प्रकारः, प्रचारः)
पहरो, पहारो (प्रहारः) पत्थवो, पत्थावो (प्रस्ताव:)
नियम १०० (मांसादिष्वनुस्वारे ११७०) मांस आदि शब्दों के आदि आ को अ हो जाता है। आ7अ-मंसं (मांसम्)
कंसिओ (कांसिक:) पंसू (पांसुः)
वंसिओ (वांशिकः) पंसणो (पांसनः) पंडवो (पाण्डव:) कंसं (कांस्यम्)
संसिद्धिओ (सांसिद्धिकः) संजत्तिओ (सांयन्त्रिकः)
नियम १०१ (महाराष्ट्र ११६६) महाराष्ट्र शब्द में आदि आ को अ होता है। आ7 अ-मरहट्ठ, मरहट्ठो।
नियम १०२ (श्यामाके मः ११७१) श्यामाक शब्द में मा के आ को अ होता है। आ7 अ—सामओ।
नियम १०३ (इ. सदादी वा ११७२) सदा आदि शब्दों के आ को इकार विकल्प से होता है। आ7इ-सइ, सया (सदा) निसिअरो, निसाअरो (निशाचरः) कुप्पिसो,
कुप्पासो (कूर्पासः)
नियम १०४ (आचार्येचोच्च ११७३) आचार्य शब्द में चा के आ को इ और अ होता है। आ75, अ-आइरिओ, आयरिओ (आचार्यः)
नियम १०५ (ई: सत्यान-खल्वाटे ११७४) स्त्यान और खल्वाट शब्दों के आ को इ हो जाता है। आ7इ-ठीणं, थीणं, थिण्णं (स्त्यानम् ) खल्लीडो (खल्वाट:)।
नियम १०६ (उः सास्ना-स्तावके १७५) सास्ना और स्तावक शब्दों के आदि आ को उ हो जाता है।
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