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स्वरादेश (२)
नियम ६६ (नात् पुन र्यादा ई वा ११६५) न शब्द से परे पुन: शब्द
के आदि अ को आ और आइ आदेश विकल्प से होता है । अ/ आ, आइ-न उणा, न उणाइ न उण, (न पुनः)
नियम ९७ (वालाम्वरण्ये लुक १०६६) अलाबु और अरण्य शब्द के __ आदि अ का लुक विकल्प से होता है। 47लुक-लाउ, अलाउं लाऊ, अलाऊ (अलाबुम्) । रण्णं, अरण्णं
(अरण्यम्) प्रयोग वाक्य
कुंडलिणी पायसेणं सह रत्तवड्ढआ हवइ । अमिया कुंडलिणी इव भवइ । हेमी जेपुरणयरस्स पसिद्धा अत्थि । अपूयो सया न भोत्तव्यो । मोदगो मज्झ अहियो रोय। दुद्धपूअलिया उवरि रत्ता अंतराले सिया भवइ । रसगोलो अज्जत्ता अमुम्मि पएसम्मि वि मिलइ । धयपूरो जेपुरणयरस्स लच्छीपण्णाभोयणालयस्स पसिद्धो अस्थि । गजओ वावरणयरस्स आवणे मिलइ । महुसीसो दीवालीए पव्वम्मि घरे घरे मिलइ । सक्करावालो सुद्धमिट्ठन्नं अत्थि । संयावो कत्थ मिलिस्सइ ? दुद्धेण पिण्डा भवंति । कुच्चिआ साऊ भवइ । मए जेपुरे कलाकंदो बहु भक्खिओ । पप्पडी कस्स कांदवियस्स पासे मिलिस्सइ । महुमंठो जोधपुरस्स णयरस्स पसिद्धो अत्थि । अज्ज मए मोहणभोओ भुत्तो । एगया कसारस्स ववहारो अहियो आसि परं संपइ अप्पो। धातु प्रयोग
__ साहुणो चउमासाइरित्तं सेसकाले गामाणुग्गामं विहरति । सप्पो एगं नरं डसीअ । सुरेसो पगब्भइ एअं किमवि कज्ज नत्थि जं अहं काउं न समत्थो। गंभीरविसये सव्वे चितआ संमीलिय विचितंति । अमुम्मि संसारम्मि को अमरायइ ? मूढो अण्णाणेण पाणा अइवाअई। सूरिय विआसिल्लपउमं पगे आडच्चं पासिऊण फुट्टइ । अप्पपरिस्समेण एव विमला विसीअइ । मालाआरो रत्तपुप्फाइं विधइ । महावीरो जहा धणवन्तं कत्थइ तहा णिद्धणं कत्थइ । अव्यय प्रयोग
__'अम्हाणं मज्झे को विउसो अत्थि ? राइभोयणं साहूण कए सव्वत्थ णिसिद्धं भवइ । मए सक्खं दिट्ठ तुमए एअं कज्ज कयं । सययं अब्भासेण कज्जस्स सिद्धी भवइ । पाणाइवायो धम्मो एअं वण्णणं सत्थेसु कत्थइ नत्थि । भवन्तो जेणधम्मस्स पभावणं चिरं करेंतु । प्राकृत में अनुवाद करो
लोग प्रातःकाल नाशता में जलेबी खाते हैं। शुद्ध घी का लड्डू पुराना होने पर भी दवा के काम आता है । आज हमारे यहां मालपुआ और
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