________________
78
जैन आगम में दर्शन
1. अंगसुत्ताणि, भाग 1 2. अंगसुत्ताणि, भाग 2 3. अंगसुत्ताणि, भाग 3 4. उवंगसुत्ताणि, भाग 4 5. नवसुत्ताणि, भाग 5 संस्कृत छाया सहित हिन्दी अनुवाद एवं विस्तृत टिप्पण1. आचारांग प्रथम श्रुतस्कन्ध 2. सूत्रकृतांग प्रथम एवं द्वितीय श्रुतस्कन्ध 3. स्थानांग 4. समवायांग
5. भगवती के प्रथम सात शतक दो खण्डों में प्रकाशित हो चुके हैं तथा अन्य का कार्य वर्तमान में चालू है।
6. उत्तराध्ययन 7. दशवैकालिक 8. अनुयोगद्वार 9. नंदी सूत्र 10. ज्ञाताधर्मकथा मुद्रण में है 11. प्रश्नव्याकरण के अनुवाद एवं टिप्पण का कार्य चल रहा है। 12. आचारांग एवं आचारांग भाष्य का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हो चुका है।
13. भगवई के प्रथम सात शतक का अंग्रेजी अनुवाद मुद्रण में है। कोश-निर्माण
1. आगम-शब्दकोश 2. देशी कोश 3. एकार्थक कोश
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org