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जैन आगम में दर्शन
मेरी सारी शिक्षा-दीक्षा आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ की देखरेख में हुई। इस आचार्यद्वयी ने पिछले अर्धशतक में अपना अधिकांश श्रम जैन आगमों के संपादन /विवेचन में लगाया। उस श्रम का मधुरफल अपने गुरुकुल की सहज विरासत में मुझे प्राप्त हुआ। इसलिए अपने शोध प्रबन्ध में यदि मैं कोई विवेचन ठीक कर पाई हूँतो वह उस आचार्यद्वयी के आशीर्वाद का परिणाम है। जहां कहीं स्खलना है वह मेरा दृष्टिदोष है। विद्वान अध्येताओं के सुझाव इस सन्दर्भ में सादर आमंत्रित हैं।
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