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जैन आगम में दर्शन
स्वर्गीय डॉ. इन्द्रचन्द्र शास्त्री (1912 - 1 9 6 6) का जैन-ज्ञान मीमांसा पर महत्त्वपूर्ण कार्य उपलब्ध है। उन्होंने जैन आगमों के आधार पर जैन ज्ञान मीमांसा का विशद विवेचन किया है। इनके ग्रन्थ का नाम "Epistimologyofthe Jaina Agamas" है। अंग्रेजी भाषामें लिखित यह ग्रन्थ सात अध्यायों में विभक्त है। इस ग्रन्थ में शास्त्रीजी ने आगम साहित्य से लेकर उपाध्याय यशोविजयजी तक प्राप्त ज्ञान-मीमांसा पर विशद ऊहापोह किया है। इस ग्रन्थ का प्रकाशन 1990 में P.V.R.I. वाराणसी से हुआ है।
नंदीसूत्र का मुख्य आधार लेकर लिखा गया ज्ञानमीमांसा नामक ग्रंथ साध्वी श्रुतयशाजी का Ph.D. काशोध प्रबन्ध है। इसमें सात अध्याय हैं। लेखिका ने मुख्य रूप से आगम एवं उसके व्याख्या साहित्य को आधार बनाकर जैन ज्ञानमीमांसा का विशद विवेचन किया है। यह ग्रंथ सन् 1999 में जैन विश्वभारती लाडनूँ से प्रकाशित हुआ है।
ऐसे ही कुछ अन्य शोधकार्य आगम एवं उसके व्याख्या साहित्य पर हुए हैं जिसका हम नामोल्लेख मात्र कर रहे हैं।
S.N.
Work
Writer
J. Stevenson
A. Weber Berlin
The Kalpa Sutra and Navatatva Ubercin Tragment der Bhagavati Uber diesuryaprajnapti The Kalapasutra of Bhadrabahu
A. Weber
H.Jacobi
S.J. Warren
G. Thibaut
P. Steinthal
A. Weber
Niryavaliyasuttam, cenupangerder Jaina's On the Suryaprajnapti Specimen der Nayardhammkaha Ueberdie heiligen Schrilten der Jaina The Uvasagdasao Originali indiceni detta novella Ariasteanel Dasavaikalika-sutra and Niryukti Ueber die Avacyaka The Uvasagadasao
R.Hoernle
F.L. Pulle
E.Leumann
E.Leumann
P.L. Vaidya
14.
Jaina Sutra
H.Jacobi
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