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________________ 126 जैन आगम में दर्शन सदृश नहीं नहीं प्रज्ञापना-पद प्रज्ञापना-पद, उत्तराध्ययन चूर्णि और भगवती जोड़ के अनुसार स्वीकृत यंत्र__ क्र. गुणांश विसदृश जघन्य + जघन्य जघन्य + एकाधिक नहीं जघन्य + व्यधिक नहीं जघन्य + व्यादिअधिक जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिकतर 7. जघन्येतर + व्यधिकतर 8. जघन्येतर + त्र्यादिअधिकतर नहीं Foto citec Mc बंधकेसम्बन्ध में सभीपरम्पराएंसदृशनहीं हैं । द्रष्टव्ययंत्र तत्त्वार्थभाष्यानुसारिणी टीका 5/55 के अनुसार सदृश विसदृश . नहीं नहीं नहीं no ho क्रमांक गुणांश जघन्य + जघन्य जघन्य + एकाधिक जघन्य + व्यधिक जघन्य + व्यादिअधिक जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिक जघन्येतर 7. जघन्येतर + व्यधिक जघन्येतर 8. जघन्येतर + अधिक जघन्येतर MVM he is है no नहीं नहीं है है no no la दिगम्बर ग्रंथ सर्वार्थसिद्धि के अनुसारक्रमांक गुणांश सदृश नहीं 1. 2. 3. 4. जघन्य + जघन्य जघन्य + एकाधिक जघन्य + व्यधिक जघन्य + व्यादिअधिक नहीं नहीं नहीं विसदृश नहीं नहीं नहीं नहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001983
Book TitleJain Agam me Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalpragyashreeji Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Agam
File Size21 MB
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