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________________ 46 पातञ्जलयोग एवं जैनयोग का तुलनात्मक अध्ययन ॐ ॐ १०. अध्यात्मसार अध्यात्ममतपरीक्षा (प्राकृत) एवं वृत्ति (स्वोपज्ञ) उपदेशरहस्य (प्राकृत) एवं विवृति (स्वोपज्ञ) कर्मप्रकृतिटीका ७. गुरुतत्त्वविनिश्चय (प्राकृत) एवं वृत्ति (स्वोपज्ञ) ज्ञानबिन्दु (प्रकरण) ज्ञानसार (अष्टक) जैनतर्कभाषा ११. देवधर्मपरीक्षा १२. द्वात्रिंशदद्वात्रिंशिका (स्वोपज्ञवृत्ति सहित) १३. धर्मपरीक्षा (प्राकृत), (स्वोपज्ञवृत्ति सहित) नयरहस्य नयोपदेश (स्वोपज्ञटीका सहित) न्यायालोक १७. न्यायखण्डनखण्डखाद्यटीका प्रतिमाशतक (स्वोपज्ञटीका सहित) १६. प्रतिमास्थापनन्याय २०. भाषारहस्य (प्राकृत), (स्वोपज्ञटीका सहित) २१. मार्गपरिशुद्धि यतिलक्षणसमुच्चय (प्राकृत) वैराग्यकल्पलता षोडशकवृत्ति २५. सामाचारीप्रकरण (प्राकृत) (स्वोपज्ञवृत्ति सहित) २६. स्याद्वाद्कल्पलता (हरिभद्रकृत शास्त्रवार्तासमुच्चय पर वृत्ति) २७. स्तोत्रत्रय (शंखेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र, गोडीपार्श्वनाथस्तोत्र, शमीनाभिधपार्श्वनाथस्तोत्र) २८. स्तोत्रावलि उपा० यशोविजय कृत कुछ अनुपलब्ध ग्रन्थ : १ छन्दश्चूडामणिटीका २. ज्ञानार्णव (स्वोपज्ञ टीका सहित) ३. त्रिसूत्र्यालोकविवरण पातञ्जल-कैवल्यपाद वृत्ति मंगलवाद मार्गपरिशुद्धि (पूर्वार्ध) प्रमारहस्य विधिवाद सिद्धान्त-तर्कपरिष्कार १०. वादरहस्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001981
Book TitlePatanjalyoga evam Jainyoga ka Tulnatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAruna Anand
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2002
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size25 MB
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