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कोश
दर्शन
४
५
६
७.
८.
६.
१०.
११.
१२.
योग
साहित्य - अलंकार
१३.
१४.
१५. १६.
१८.
सिद्धम- प्राकृतवृत्ति लिंगानुशासन सटीक उणादिगण- विवरण
धातुपरायण
इतिहास काव्य
१७.
२१.
अभिधानचिन्तामणि, स्वोपज्ञ टीका सहित अभिधानचिन्तामणि, परिशिष्ट अनेकार्थकोश
निघण्टुशेष (वनस्पति विषयक) देशीनाममाला (स्वोपज्ञ टीका सहित)
स्तुति स्तोत्र
२२.
२३.
२४.
२५.
काव्यानुशासन (स्वोपज्ञ अलंकारचूड़ामणि ओर विवेकवृत्ति सहित ) छन्दोऽनुशासन (छन्दश्चूड़ामणि टीका सहित)
इतिहास, काव्य और उपदेश
परिशिष्टपर्व
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प्रमाणमीमांसा, स्वोपज्ञवृत्ति सहित (अपूर्ण) वेदांकुश-द्विजवदनचपेटा
व्याकरण सहित संस्कृतद्वयाश्रयमहाकाव्य प्राकृतद्वयाश्रयमहाकाव्य
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१६. त्रिशष्टिशलाकापुरुषचरित (महाकाव्य- दशपर्व)
२०.
पातञ्जलयोग एवं जैनयोग का तुलनात्मक अध्ययन
योगशास्त्र, स्वोपज्ञटीका सहित
वीतरागस्तोत्र
अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका (पद्य) अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका (पद्य) महादेवस्तोत्र (पद्य)
आ० हेमचन्द्र के जीवनचरित्र व श्रेष्ठ रचनाओं से उनकी सर्वांगीण प्रतिभा ओर अभ्यास का परिचय मिलता है। इस महान् कवि में एक साथ ही वैयाकरण, आलंकारिक, दार्शनिक, छन्दोनुशासक, धर्मोपदेशक, साहित्यकार, इतिहासकार, पुराणकार और कोशकार का अनुपम समन्वय दृष्टिगोचर होता
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