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पातञ्जल एवं जैनयोग-साधना-पद्धति तथा सम्बन्धित साहित्या गांधीनगर) पि 300000
ज्योतिष-सम्बन्धी ग्रन्थ १. लग्नशुद्विलग्नकुण्डलिया (प्राकृत)
मुद्रित स्तुति विषयक ग्रन्थ १. वीरस्तव
मुद्रित २. संसारदावानलस्तुति (संस्कृत-प्राकृत भाषाद्वयात्मक) मुद्रित पाश्चात्य विद्वान् विलियम्स के मत में उपर्युक्त सभी ग्रन्थ एक ही हरिभद्र द्वारा रचित नहीं हैं। भाषा एवं वर्ण्यविषय के आधार पर उन्होंने उपर्युक्त ग्रन्थों को दो भिन्न-भिन्न 'हरिभद्र' नामक आचार्यों द्वारा रचित बताया है। उनके मतानुसार पंचाशक आदि ग्रंथ तो 'विरहांक' हरिभद्र द्वारा रचे गये हैं, जबकि धर्मबिन्दु, श्रावकप्रज्ञप्ति, ललितविस्तरा तथा आवश्यकसूत्रवृत्ति आदि ग्रंथ 'याकिनीमहत्तरासुनू' हरिभद्रं द्वारा रचित हैं। अन्य विद्वानों के मत में दोनों विशेषण एक ही हरिभद्र के हैं। आ० हरिभद्र प्रणीत (माने जाने वाल) अन्य ग्रन्थ ___ इनके अतिरिक्त अधोलिखित ग्रन्थ आ० हरिभद्र द्वारा रचित माने जाते हैं, परन्तु इसकी असंदिग्ध स्वीकृति के लिए अधिक प्रमाणों की अपेक्षा है :
१. अनेकान्तप्रघट्ट २. अर्हच्चूड़ामणि ३. कथाकोष
कर्मस्तववृत्ति चैत्यवन्दनभाष्य ज्ञानपंचकविवरण दर्शनसप्ततिका धर्मलाभसिद्धि धर्मसार नाणायत्तक नानाचित्तप्रकरण न्यायविनिश्चय परलोकसिद्धि पंचनियंठी पंचलिंगी प्रतिष्ठाकल्प बृहन्मिथ्यात्वमंथन
बोटिकप्रतिषेध १६.
यतिदिनकृत्य यशोधरचरित्र
वीरांगदकथा २२. वेदबाह्यतानिराकरण
ॐ
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१४.
१७.
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