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________________ 24 पातञ्जलयोग एवं जैनयोग का तुलनात्मक अध्ययन मुद्रित मुद्रित अनुपलब्ध मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित ५. पंचसूत्रव्याख्या ६. पंचाशक (प्राकृत) . ७. भावनासिद्धि लघुक्षेत्रसमास या जंबूद्वीपक्षेत्रसमासवृत्ति वर्गकेवलीसूत्रवृत्ति १०. बीस विंशिकाएँ (विंशतिविंशिका) (प्राकृत) ११. श्रावकधर्मविधिप्रकरण (प्राकृत) श्रावकप्रज्ञप्ति (वृत्ति सहित) १३. सम्बोधप्रकरण (प्राकृत) हिंसाष्टक (स्वोपज्ञ अवचूरि सहित ) दार्शनिक ग्रन्थ अनेकान्तजयपताका (स्वोपज्ञटीका युक्त) अनेकान्तवादप्रवेश अनेकान्तसिद्धि आत्मसिद्धि ५. तत्त्वार्थसूत्र-लघुवृत्ति ६. द्विजवदनचपेटा धर्मसंग्रहणी (प्राकृत) न्यायप्रवेशटीका न्यायावतारवृत्ति लोकतत्त्वनिर्णय ११. शास्त्रवार्तासमुच्चय (स्वोपज्ञटीका युक्त) १२. षड्दर्शनसमुच्चय १३. सर्वज्ञसिद्धि (स्वोपज्ञटीका सहित) १४. स्याद्वादकुचोद्यपरिहार योग विषयक ग्रन्थ योगदृष्टिसमुच्चय (स्वोपज्ञटीका युक्त) २. योगबिन्दु ३. योगविंशिका (प्राकृत), (बीसविंशिका के अंतर्गत) योगशतक ५. षोडशकप्रकरण मुद्रित मुद्रित अनुपलब्ध अनुपलब्ध मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित अनुपलब्ध मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित मुद्रित ॐ कथा-सम्बन्धी ग्रन्थ १. २. धूर्ताख्यान (प्राकृत) समराइच्चकहा (प्राकृत) मुद्रित मुद्रित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001981
Book TitlePatanjalyoga evam Jainyoga ka Tulnatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAruna Anand
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2002
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size25 MB
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