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अध्याय 38 ]
भारत के संग्रहालय
तीर्थंकर का लांछन वज्र दो सिंहों के मध्य में अंकित है। उनके यक्ष किन्नर और यक्षी कंदर्पा को उनकी सेवा करते हए दिखाया गया है। पादपीठ के सम्मुख-भाग पर नव-ग्रह और चक्र तथा उसके पार्श्व में हिरणों आदि का अंकन है । इस प्रतिमा की अन्य प्राकृतियाँ आदि पूर्वोक्त प्रतिमाओं की भांति ही हैं। संवत् १५७२ का अभिलेख भी इस प्रतिमा पर उत्कीर्ण है।
शांतिनाथ (४८.४/४०) : इस प्रतिमा में तीर्थंकर को सिंहासन पर ध्यान-मुद्रा में बैठे हुए दर्शाया गया है। उनकी आँखें, श्रीवत्स-चिह्न आदि चाँदी और ताँबे की पच्चीकारी से बने हैं। उनके पार्श्व में दोनों ओर बने आयताकार देवकोष्ठों में तीर्थंकरों को बैठे हए दिखाया गया है। इनके नीचे भी कायोत्सर्ग तीर्थंकर अंकित हैं। सिंहासन के पार्श्व में तीर्थंकर के यक्ष एवं यक्षी अंकित हैं और पादपीठ के सम्मुख-भाग पर नव-ग्रह, चक्र और उसके दोनों ओर हिरण आदि अंकित हैं। सिंहासन के आगे सिंहों के मध्य में तीर्थंकर का लांछन हिरण अंकित है। प्रतिमा के पीछे संवत् १५२४ का अभिलेख उत्कीर्ण है।
कुंथुनाथ (४८.४/२४) : इस प्रतिमा में तीर्थंकर को एक पादपीठ पर स्थित सिंहासन पर तिहरे छत्र के नीचे पद्मासन-मुद्रा में दर्शाया गया है। छत्र के पार्श्व में दोनों ओर हाथी अंकित हैं। तीर्थंकर की आँखें, श्रीवत्स-चिह्न और आसन का सम्मुख भाग चाँदी की पच्चीकारी से बना है। तीर्थंकर के पार्श्व में दोनों ओर कायोत्सर्ग तीर्थंकर एवं सेवक खड़े हुए हैं। पादपीठ के सम्मुख भाग पर तीर्थंकर का लांछन बकरा अंकित है। सिंहासन के पार्श्व में यक्ष दंपति, गंधर्व और बला अंकित हैं। समूची प्रतिमा के चौखटे पर मणिभाकार किनारी तथा त्रिकोण डिजाइन है। प्रतिमा के पृष्ठ भाग पर संवत् १५०७ का अभिलेख है।
मल्लिनाथ (४७.१०६/१७०) : इस प्रतिमा में तीर्थंकर को एक ऊँचे पादपीठ पर प्राधत सिंहासन पर पद्मासन-मुद्रा में दर्शाया गया है । तीर्थंकर के कान लंबे हैं, उनके सिर पर एक उष्णीष है और उसके ऊपर अलंकृत तिहरा छत्र है । छत्र की दोनों ओर हाथी हैं जिनके ऊपर शंख बजाते गंधर्व अंकित हैं। तीर्थंकर के शीर्ष की दोनों ओर आयताकार देवकोष्ठों में तीर्थंकरों को बैठे दिखाया गया है। इन देवकोष्ठों के उपरिवर्ती देवकोष्ठों में गंधर्व हैं। नीचे की ओर दो कायोत्सर्ग तीर्थंकरों को दो सेवकों सहित दिखाया गया है जो नितांत छोर की ओर हैं। सिंहासन की दोनों ओर तीर्थंकर के यक्ष कुबेर एवं यक्षी धरणप्रिया अंकित हैं । नव-ग्रह आदि को सामान्यतः प्रदर्शित किया गया है। प्रतिमा के पीछे संवत् १५३१ (विक्रम) और संवत् १४२७ (शक) का अभिलेख अंकित है।
मुनिसुव्रत (४८.४/२७) : सिंहासन पर ध्यानावस्था में बैठे तीर्थकर की इस प्रतिमा में उनके ऊपर तिहरे छत्र छाया कर रहे हैं जिनके पार्श्व में दो हाथी और पद्मासनस्थ तीर्थंकर अंकित हैं। तीर्थंकर के पार्श्व में दोनों ओर कायोत्सर्ग तीर्थंकर-प्रतिमाएँ हैं। तीर्थंकर का सेवक-यक्ष वरुण और यक्षी नरदत्ता भी अंकित है। तीर्थंकर का लांछन कच्छप पूर्णतया नष्ट हो चुका है। प्रतिमा के पष्ठभाग पर संवत् १५०६ का एक अभिलेख है।
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