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अध्याय 38
भारतीय संग्रहालय
राष्ट्रीय संग्रहालय
पाषाण-प्रतिमाएँ
राष्ट्रीय संग्रहालय में देश के विभिन्न भागों से उपलब्ध जैन प्रतिमाओं का एक समृद्ध संग्रह है। इन प्रतिमानों में कुषाणकालीन आयाग-पट को छोड़कर शेष समस्त प्रतिमाएं मध्यकालीन हैं।
उत्तर प्रदेश
आयाग-पट (जे० २४६1 ऊँचाई ६३ सेंटीमीटर); इस आयाग-पट में जैन मूर्तिकला की प्रारंभिक अवस्था का अंकन है जिसमें चार संयुक्त तिलक-रत्नों की केंद्रवर्ती देवकुलिका में ध्यानमुद्रा में एक तीर्थकर का अंकन है, तीर्थंकर के शीर्ष के ऊपर एक चक्र अंकित है और उ फलक में एक मत्स्य-युग्म, देव-विमान, श्रीवत्स-चिह्न तथा एक चूर्ण-मंजूषा है। नीचे की ओर के फलक में एक तिलक-रत्न, एक पूर्ण विकसित पद्म-पुष्प, वैजयंती तथा एक मंगल-कलश दर्शाया गया है। यह उपासना-पट चारों ओर से स्तंभों द्वारा परिवृत है और ऊपर गजशीर्ष तथा धर्म-चक्र से मण्डित है। पट पर एक अभिलेख भी उत्कीर्ण है जो कनिष्क से पूर्व का है।
पार्श्वनाथ (५६.२०२; ऊँचाई १ मीटर) इस प्रतिमा में पार्श्वनाथ को कायोत्सर्ग-मुद्रा में अंकित किया गया है। उनके पीछे एक कुण्डली-बद्ध नाग खड़ा है जो अपने सप्त-फण छत्र से पार्श्वनाथ के शीर्ष पर छाया कर रहा है। तीर्थंकर के पार्श्व में दोनों ओर उपासना-मुद्रा में नागियां खड़ी हैं। तीर्थंकर के वक्षस्थल पर श्रीवत्स-चिह्न अंकित है। यह प्रतिमा बारहवीं शताब्दी की गाहड़वालकालीन कलाकृति है (चित्र ३३६ क) ।
राजस्थान
पार्श्वनाथ (६२.४३४; ऊँचाई ३० सें० मी०) इस प्रतिमा में सात फण वाले नाग-छत्र के नीचे पार्श्वनाथ को सिंहासन पर रखे गद्दीनुमा आसन पर बैठे हुए दर्शाया गया है। उनके शीर्ष के ऊपर दोनों ओर दिव्य वाद्य-वादकों तथा कायोत्सर्ग तीर्थंकरों को दर्शाया गया है, पार्श्वनाथ की एक अोर
1 यह और इसी प्रकार की आगे आने वाली संख्या संग्रहालय की क्रमांक-संख्या की सूचक है.
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