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संग्रहालयों में कलाकृतियाँ
[ भाग 10 सिंहासन के पृष्ठ-भाग पर उत्कीर्ण पशु-प्राकृतियों का आकर्षक-मोहक अंकन तथा सेवकों की सजीव प्राकृतियाँ किंचित् छुटकारा दिला देती हैं। प्रतिमा के पीछे की ओर अंकित तिथि-युक्त अभिलेख के अनुसार यह प्रतिमा सन् १०२० की निर्मित है।
लॉस एंजिल्स के संग्रह में दो और कांस्य-प्रतिमाएँ हैं जो विशुद्ध मूर्तिपरक प्रवृत्ति के आधार पर अंकित हैं । एक प्रतिमा में पाँच तीर्थंकरों के एक समूह का अंकन है (चित्र ३३३) । ऐसी प्रतिमा को पंच-तीथिका के नाम से जाना जाता है। दूसरी प्रतिमा में समस्त चौबीसों तीर्थंकरों का अंकन है (चित्र३३४) । ये समस्त तीर्थकर-प्रतिमाएँ नितांत ज्यामितीय रूपरेखा में संयोजित हैं। इस पंच-तीथिका का रचनाकाल सन् १४३० है जिसमें केंद्रवर्ती प्रतिमा तीर्थंकर विमलनाथ की है जबकि चौबीस तीर्थकरों की प्रतिमा में केंद्रवर्ती प्रतिमा शांतिनाथ की है। इससे यह स्पष्ट प्रमाणित है कि पूर्वोक्त तीर्थंकर-प्रतिमाओं के समान आदर्शात्मक रूपपरक रूढ़िगत प्राकृतियों का उपयोग मात्र विभिन्न तीर्थंकरों को अंकित करने के लिए ही नहीं होता रहा अपितु इनके उपयोग की परंपरा लगभग दो हजार साल तक प्रचलित रही।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम सामान्यतः यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जहाँ जैन सौंदर्य-परंपरा में सदैव मूलभूत रूप से अमूर्तन के प्रति अभिरुचि रही है वहाँ बारहवीं शताब्दी की उत्तरवर्ती निर्मित जैन प्रतिमाओं में ज्यामितीय रूपाकारों के प्रति पूर्वानुराग रहा है । इन कांस्यप्रतिमानों के संयोजन में कुल मिलाकर विभिन्न रैखिक व्यवस्थाएँ हैं जिनकी समरूपी विशेषताओं पर नितांत बल दिया गया है। इन प्रतिमाओं में प्रारंभिक प्रतिमाओं के मद् गुण उत्तरवर्ती प्रतिमाओं में परिलक्षित नहीं हैं बल्कि उनमें कोणीय अंकन के प्रति बढ़ती हुई प्रवृत्ति देखी जा सकती है।
अंत में इन प्रतिमाओं की जिन विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है वे इनकी पारस्परिक समानताएं नहीं हैं बल्कि उनकी परस्पर असमानताएँ हैं जो आपस में एक दूसरे से वैभिन्य दर्शाती हैं । यहाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि कुछ मूलभूत सूत्रों का दृढ़तापूर्वक परिपालन तथा मूर्तिकला और शैली इन दोनों की सीमाओं में आबद्ध रहकर कार्य करने के उपरांत यह प्रत्येक प्रतिमा मूर्तिकार की व्यक्तिगत रचना बन सकी है।
प्रतापादित्य पाल
1 यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस प्रतिमा के पृष्ठ-भाग पर अंकित मभिलेख में इसे एक चतुर्विंशति-पट्ट बताया
गया है.
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