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________________ संग्रहालयों में कलाकृतियां [ भाग 10 हाथ में नाग को धारण किये हए यक्ष धरणेंद्र तथा अपने दायें हाथ में पाम्र-गुच्छ धारण किये हुए यक्षी पद्मावती का अंकन है। पीले बलुमा पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा प्रतीहारकालीन है (चित्र ३३५)। नेमिनाथ (६९.१३२; ऊँचाई १.१८ मीटर) : कुछ वर्ष पूर्व राजस्थान में पिलानी के निकट नरहद में मुनिसुव्रत तथा नेमिनाथ की दो प्रतिमाएँ खुदाई में प्राप्त हुई थीं जिनमें से मनाथ की प्रतिमा को राष्ट्रीय संग्रहालय ने प्राप्त कर लिया। इस प्रतिमा में तीर्थंकर कायोत्सर्ग-- मुद्रा में खड़े हैं तथा उनके दोनों ओर चमरधारी-सेवकों को खड़े हुए दर्शाया गया है । तीर्थंकर के वक्ष पर चार कमलदल वाला श्रीवत्स-चिह्न अंकित है। तीर्थंकर एक पारदर्शी धोती पहने हैं। उनका लांछन शंख पादपीठ के सम्मुख-भाग पर अंकित है। यह प्रतिमा उस कसौटी पत्थर की बनी है जिसपर कसकर सोने की शुद्धता की परख की जाती है। यह बारहवीं शताब्दी की चाहमान-शैली की एक प्रत्युत्तम कृति है (चित्र ३३६ ख)। सरस्वती (१/६-२७८; ऊंचाई १.४८ मीटर) : बीकानेर के अंतर्गत पल्लू नामक स्थान से प्राप्त श्वेत संगमरमर निर्मित इस सरस्वती-प्रतिमा में देवी एक पूर्ण विकसित पद्म-पुष्प पर आकर्षक त्रि-भंग मुद्रा में खड़ी हुई दर्शायी गयी है। वह अपनी विभिन्न भुजाओं में अक्षमाला, श्वेत कमल, ताडपत्रीय पाण्डुलिपि जो रेशमी डोरी से बंधी हुई है तथा जल-कलश धारण किये हुए है। वह एक अति-अलंकृत शिरोभूषण, तथा अन्य माभूषण, और पारदर्शी साड़ी धारण किये है। साड़ी कटि-भाग पर एक अत्यंत अलंकृत मेखला से प्राबद्ध है । मोतियों से गुंथी लटकन तथा फूंदने आकर्षक रूप से उसकी जंघाओं पर लटक रहे हैं। देवी के पार्श्व में दोनों ओर वीणा-वादक सेविकाएं खड़ी हैं। देवी के सिर के पीछे कमलाकार भामण्डल के समीप तीर्थंकर की एक लघु प्रतिमा अंकित है। इस प्रतिमा के दानदाता और उसकी पत्नी को पादपीठ के क्रमशः बायें तथा दायें सिरे पर अंकित दिखाया गया है। पादपीठ के सम्मुख-भाग में देवी का वाहन हंस है। यह प्रतिमा बारहवीं शताब्दी की चाहमानकला की एक उत्कृष्ट कृति है (चित्र ३३७) । मध्य-प्रदेश नेमिनाथ (७३.२३; ऊंचाई ६६.५ सेंमी.) : यह प्रतिमा एक आयताकार पादपीठ पर कायोत्सर्ग-मुद्रा में खड़े तीर्थंकर नेमिनाथ की है। उनके बाल छोटे-छोटे छल्लों में प्रसाधित हैं तथा उनके वक्ष पर श्रीवत्स-चिह्न अंकित है। उनका लांछन शंख पादपीठ पर उत्कीर्ण है। यह प्रतिमा खुजराहो की प्रतिमाओं के अनुरूप है। यद्यपि इसमें सामान्य सुरुचि-संपन्नता का अभाव है तथापि शैलीगत आधार पर इसे चंदेल-शैली की कृति माना जा सकता है। गुजरात तीर्थकर (५०.२७७; ऊंचाई ५४.४ सें. मी०) : मेहसाना जिले के लाडोल नामक स्थान से प्राप्त संगमरमर की इस प्रचिह्नित तीर्थंकर-प्रतिमा में उन्हें कायोत्सर्ग-मुद्रा में दर्शाया 572 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001960
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size24 MB
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