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________________ सिद्धांत एवं प्रतीकार्य [ भाग १ जैन मंदिरों में पूजा के लिए अनेक धातुनिर्मित यंत्र और तांत्रिक रेखांकन स्थापित किये गये। बहुत-से पटों पर रेखांकित अर्थात् वस्त्रों या कागज पर चित्रांकित सूरि-मंत्र, ह्रींकार-यंत्र, वर्धमानविद्यापट, सिद्ध-चक्र, ऋषि-मण्डल-यंत्र आदि की पूजा जैन साधुओं और श्रावकों द्वारा की जाती है। इनमें से श्रुतस्कंध-यंत्र का दिगंबरों में अत्यंत प्रचलन है जिसका उल्लेख विशेष रूप से किया जाना चाहिए । कभी-कभी उसपर विद्यादेवी श्रुतदेवता की प्राकृति भी रेखोत्कीर्ण होती है। इस रेखांकन में बारह आगमों के नाम और उनका दिगंबरों के अनुसार, पृथक्-पृथक् ग्रंथ-प्रमाण उत्कीर्ण होते हैं । मूडबिद्री, कर्नाटक के एक ऐसे ही यंत्र का चित्र ३१४ यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है। उमाकांत प्रेमानंद शाह 508 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001960
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size24 MB
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