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अध्याय 34
दक्षिण भारतीय मुद्राओं पर अंकित प्रतीक
दक्षिण भारतीय मुद्राओं पर जैन प्रभाव का प्रमाण आरंभिक पाण्ड्य शासकों को चतुष्कोण साँचे में ढली या ठप्पे की सहायता से बनायी गयी उन कांस्य-मुद्राओं से मिलने लगता है जो उन्होंने तीसरी और चौथी शताब्दी के मध्य प्रसारित की। विद्वान् सामान्य रूप में इस प्रभाव को समझने में असफल रहे, इसका कारण निश्चित रूप से यह रहा कि प्रारंभिक भारतीय मुद्राओं पर और विशेषतः आहत मुद्राओं पर जो प्रतीक अंकित किये गये उनपर बौद्ध प्रभाव स्पष्ट रूप में विद्यमान है। इसलिए इस प्रकार की मुद्राओं के अध्ययन में बौद्ध प्रभाव और संबंध की ओर ध्यान जाना प्रासंगिक ही है । यह सत्य है कि प्रारंभिक पाहत मुद्राओं पर दक्षिण में भी बौद्ध प्रतीकों का अंकन सामान्य रूप से हमा, पर कई प्रकार की स्थानीय मुद्राएँ ऐसी भी उपलब्ध हैं जिनपर अंकित प्रतीकों के जैन होने में कोई संदेह नहीं ।
ऐसी मुद्राओं के कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे हैं। जैन प्रभाव प्रारंभिक पाण्ड्य शासकों की कुछ चतुष्कोणीय कांस्य-मुद्राओं पर देखा जा सकता है जिनके पृष्ठ-भाग पर सात या आठ प्रतीकों का, अर्थात् अष्ट-मंगल द्रव्यों का एक गज के साथ अंकन प्रचलित था । इन मुद्राओं के विषय में टी० जी० अरवमुथन् ने लिखा है : 'इन मुद्राओं के पृष्ठ-भाग पर कुछ ऐसे प्रतीक अंकित हैं जो धार्मिक मान्यताओं से संबद्ध प्रतीत होते हैं, जैसे सूर्य या चक्र, ऐसा कलश जिससे जलधारा निकल रही है, और अर्धचंद्र, जिनकी गणना साधारणतः अष्ट-मंगल द्रव्यों में की जाती है।' अरवमुथन के अनुसार, गज के सम्मुख अंकित द्रव्य दीप हो सकता है जो मंगल-द्रव्यों की सूचियों में मिलता है। प्रारंभिक पाण्ड्य शासकों की एक अन्य प्रकार की मुद्राओं पर अंकित प्रतीकों में अश्व के ऊपर अंकित मुक्कुडै अर्थात् छत्रत्रय भी एक प्रतीक है। छत्रत्रय निश्चित रूप से एक जैन प्रतीक है क्योंकि तीर्थकर
1 यहाँ उल्लिखित सभी कांस्य-मुद्राएं पाण्ड्य शासकों द्वारा प्रसारित की गयी मानी जाती रही हैं क्योंकि उनके पृष्ठ
भाग पर उनका प्रतीक मत्स्य अंकित है; किन्तु इस विषय में कोई और अनुश्रुति नहीं है, केवल प्रतीक ही हैं, अतः इस संभावना का निषेध नहीं किया जा सकता कि इन मुद्राओं का प्रसारण किन्हीं ऐसे सार्थवाह-गणों ने
किया हो जो जैन रहे हों. 2 'ए पाण्ड्यन इश्यू ऑफ़ पंच-मार्ड पुराणाज', जर्नल प्रॉफ़ द न्यूमिस्मैटिक सोसायटी बॉफ इण्डिया, 6. 1944.
पृ 3, टिप्पणी.
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