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अध्याय 20 ]
उत्तर भारत
शाह के विचार से पाठ तलोंवाला चितौड़गढ़ स्थित कीर्तिस्तंभ, जिसकी ऊंचाई लगभग २४.३८ मीटर है, अपने मूल रूप में सन् ११०० के लगभग बनाया गया था और सन् १४६० के लगभग उसकी मरम्मत की गयी थी। यह स्तंभ दिगंबर जैनों से संबंधित है। उसमें सब से ऊपर के मण्डप में चौमुखी प्रतिमा थी।
राजस्थान में किशनगढ़ के पास रूपनगर नामक स्थान में डी० आर० भण्डारकर को तीन स्मारक-स्तंभ या निषिधिकाएँ प्राप्त हई। इनमें से एक पर विक्रम संवत १०१८ (सन १६१) उत्कीर्ण है और उसके ऊपर एक तीर्थंकर-प्रतिमा है। उसपर जो पुरालेख है, उसमें यह उल्लेख है कि यह मेघसेनाचार्य की निषिधिका है। दूसरी में भी मेघसेनाचार्य का उल्लेख है। तीसरी में पद्मसेनाचार्य का नाम उल्लिखित है और उनकी मृत्यु की तिथि १०१६ दी गयी है।
जैसाकि पहले बताया जा चुका है (पृ २४४) गाहड़वालों के शासन-काल के मंदिर-स्थापत्य के संबंध में हमें बहुत कम जानकारी प्राप्त है। मथुरा, हरद्वार, पारसनाथ (जिला बिजनौर), हस्तिनापुर, बटेश्वर, चंदवार, कौशाम्बी, श्रावस्ती आदि स्थानों से वर्तमान में जो मूर्तियाँ उपलब्ध हुई हैं, उनसे यही संकेत मिलता है कि ग्यारहवीं और बारहवीं शताब्दियों में बहुत बड़े स्तर पर गंगा-यमुना घाटी में जैन मंदिरों का निर्माण कराया गया था। किन्तु उनकी रूपरेखा और उठान के विषय में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
श्रावस्ती स्थित शोभनाथ-मंदिर भी उत्खनक को विभिन्न युगों के ईंट निर्मित भवन के ढेर-रूप में मिला था। उक्त मंदिर के पूर्वी भाग में एक आयताकार प्रांगण (१८.१०४१४.६४ मी०)था और वह भग्न ईंटों की एक मोटी भित्ति (२.३६४२.७४ मीटर) से वेष्टित था। ईंट-संरचना में बहुत-सी शिल्पांकित ईंटों का प्रयोग बिना किसी योजना के किया गया था। प्रांगण के चारों ओर की भित्तियों के भीतरी भाग में कदाचित मूर्तियाँ रखने के लिए ग्राले (देवकोष्ठ) बने हए थे। सामने की अोर सीढियों के तथा पीछे की ओर गर्भगृह की निर्मितियों के चिह्न थे (रेखाचित्र १२) । मंदिर के गर्भगृहों में से एक में गोमेध तथा अंबिका के अतिरिक्त आदिनाथ तथा अन्य तीर्थंकरों की मूर्तियाँ मिली थीं। इसकी निर्माण-तिथि बारहवीं शताब्दी का उत्तरार्ध हो सकती है।
1 शाह (यू पी). स्टडीज इन जैन मार्ट. 1955. वाराणसी. पृ 23. / अध्याय 25 भी द्रष्टव्य. 2 मायॉलॉजिकल सर्वे प्रॉफ इण्डिया (वेस्टर्न सकिल) प्रोग्रेस रिपोर्ट. 1910-11; Y 43. 3 कनिधम (ए) प्रायोजॉजिकल सर्वे मॉफ़ इण्डिया, रिपोट्स, 1863-65; 1972. (पुनर्मुद्रित) वाराणसी.
पृ234. 4 वोगेल. (ज फ) मायॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया. एनुअल रिपोर्ट, 1907-08; 1911. कलकत्ता.
पृ 113.
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