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वास्तु-स्मारक एवं मूर्तिकला 1300 से 1800 ई०
[ भाग 6 आगरा, शौरीपुर और फिरोजाबाद के जैन मंदिरों में भी मध्यकालीन जैन प्रतिमाओं के अच्छे संग्रह हैं। इनमें से कुछ प्रतिमाएँ बहमूल्य पत्थरों से भी निर्मित हैं। ये मंदिर-संरचना की दृष्टि से साधारण हैं। अधिकांशतः मंदिरों में एक बड़े पैमाने पर हए पननिर्माण तथा मरम्मत कार्य के कारण उनकी मूल विशेषताओं में से एकाध ही बच रही है। यही स्थिति दिल्ली के प्रसिद्ध लाल मंदिर की है जिसका निर्माण सन् १६५६ में हुआ था। दिल्ली में एक दूसरे जैन मंदिर का निर्माण धर्मपुरा में राजा हरसुखराय ने सन् १८०० में प्रारंभ कराया था जो उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में पूरा हो पाया । तेरहवीं से लेकर अठारहवीं शताब्दी तक की अनेक जैन प्रतिमाएँ दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के उत्तरकालीन मंदिरों में पायी जाती हैं परंतु ये प्रायः अनगढ़ और निष्प्राण हैं।
मुनीश चंद्र जोशी
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