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________________ अध्याय 15 पूर्व भारत पश्चिम बंगाल बंगाल में जैन धर्म पूर्व मध्यकाल में बौद्ध और ब्राह्मण धर्मों के साथ ही साथ प्रचलित रहा। पुण्ड्रवर्धन (उत्तर बंगाल) और समतट (दक्षिण बांग्लादेश) के संदर्भ में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने लिखा है कि इन दोनों क्षेत्रों में दिगंबरों (निग्रंथों) की बड़ी संख्या थी, यद्यपि बहुत से बौद्ध संघाराम और देव-मंदिर भी थे। जैन धर्म की लोकप्रियता यद्यपि बंगाल में हनसांग के समयोपरांत भी रही, किन्तु उसके पश्चात् पाठवीं शती में जैन गतिविधियों के संकेत न तो साहित्यिक श्रोतों से मिलते हैं और न पुरातात्त्विक श्रोतों से । इससे कुछ लोग यह विश्वास करते हैं कि बौद्ध धर्म के प्रबल समर्थक पालवंश के उदय के साथ सातवीं शती के अनंतर बंगाल में जैन धर्म का ह्रास होने लगा। यह कल्पना इस तथ्य की दृष्टि से उचित नहीं कि नौवीं और दसवीं शताब्दियों में बंगाल के विभिन्न भागों में अनेक जैन मंदिरों का निर्माण हुआ और पाषाण तथा कांस्य की अनेक मूर्तियाँ गढ़ी गयीं, जबकि बौद्ध धर्म इस प्रदेश पर छाया हुआ था। नौवीं से ग्यारहवीं शताब्दियों तक जैन कला पूर्वी भारत में उतनी ही उत्कृष्ट और विविधतापूर्ण रही जितनी बौद्ध और ब्राह्मण कलाएँ । मूर्तिकला के क्षेत्र में, दीनाजपुर जिले में सुरोहोर से प्राप्त और शैलीगत विशेषताओं के कारण दसवीं शती की मानी जानेवाली ऋषभनाथ की पद्मासन-प्रतिमा का स्थान अद्वितीय है। इसमें गुप्त-कला की गरिमा और सौम्यता विद्यमान है (चित्र ८१क) जे. एन. बनर्जी ने इस प्रतिमा का उल्लेख इस प्रकार किया है : 'एक लघु मंदिर के आकार में अंकित इस प्रतिमा में मूलनायक के रूप में तीर्थंकर अपने लांछन (वृषभ) से अंकित पादपीठ पर बद्ध-पद्मासन में हाथों को ध्यान-मुद्रा में स्थापित करके विराजमान हैं। शेष तेईस तीर्थंकरों की मूर्तियाँ भी अपने-अपने लांछनों से चिह्नित और | मजूमदार (रमेशचन्द्र). जैनिज्म इन ऐंश्येण्ट बंगाल. महावीर जैन विद्यालय गोल्डन जुबिली वॉल्यूम. 1968. बम्बई. पृ 136-37. / बील (एस). बुद्धिस्ट रिकार्डस ऑफ द वेस्टर्न वल्र्ड. 2. 1884. लंदन . 159 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001958
Book TitleJain Kala evam Sthapatya Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmichandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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