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वास्तु-स्मारक एवं मूर्तिकला 300 से 600 ई.
[भाग 3 था। इस ऊपरी तल पर जाने के लिए चट्टान को काटकर अनियमित आकार की सीढ़ियाँ बनायी गयी थीं। इसके गिरे हए ऊपरी भवन के मलबे में से एक गरुडासन-विष्ण की प्रतिमा मिली थी, जिससे ज्ञात होता है कि आगे चलकर इसका उपयोग वैष्णवों द्वारा किया जाने लगा था। गुफा के भीतर दक्षिणी भित्ति पर छह छोटी तीर्थंकर-प्रतिमाएँ शिल्पांकित हैं। दोनों ही गुफाओं के बाहर छतयुक्त बरामदा था जिसका संकेत पश्चिमी गुफा की बाहरी भित्ति पर शहतीर के लिए बने छिद्रों और पूर्वी गुफा के सामने के चबूतरे या आँगन से मिलता है, जिसकी ईंटें आज भी दिखाई देती हैं।
वैभारगिरि के ध्वस्त मंदिर में एक केन्द्रीय कक्ष है जिसका मुख पूर्व की ओर है। इसके चारों ओर आँगन है जिसके सामने सभी ओर पंक्तिबद्ध कोठरियाँ हैं। मुख्य भवन की पूर्वी भित्ति के पास तथा उनके कुछ निचले स्तर पर एक और कक्ष है जिसके उत्तर में सीढ़ियाँ हैं। इस कक्ष में भी कुछ तीर्थंकर-प्रतिमाएँ हैं जिन्हें इस युग की माना जा सकता है ।
मूर्तिकला : प्रस्तर-मूर्तियाँ
पूर्वी क्षेत्र ने हमें इस युग की प्रस्तर और धातु-निर्मित कुछ प्रतिमाएँ तथा मृणमूर्तियाँ विरासत में दी हैं। प्रस्तर-प्रतिमाएँ मुख्यतः राजगिर से प्राप्त हुई हैं, जब कि चौसा (जिला भोजपुर) से धातु की सोलह प्रतिमाएँ मिली हैं, जिनमें से छह इसी संदर्भित काल की हैं । कुमराहार और वैशाली से हरिनैगमेष की कुछ मृण्मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं जो शैली और कला-कौशल की दृष्टि से यही दर्शाती हैं कि प्राचीन कुषाणकालीन पद्धति इस युग में भी जारी रही। इस युग की दो और प्रतिमाओं की सूचना प्राप्त
1 कुरैशी और घोष, पूर्वोक्त, पृ26. 2 वही, पृ 26, [इस मंदिर की तिथि के लिए अध्याय 15 देखिए.-संपादक] 3 आर्क यॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया. एनुअल रिपोर्ट, 1925-26. 1928. कलकता. पृ 125-26 में रामप्रसाद
चंदा का मत. 4 वही. 5 पटना म्युजियम. कैटेलॉग प्रॉफ एण्टिक्विटीज. संपा : परमेश्वरीलाल गुप्त. 1965. पटना. पृ 116-17. / प्रसाद
(एच के). जैन ब्रोन्जेज इन द पटना म्युजियम. महावीर जैन विद्यालय गोल्डन जुबिली वॉल्यूम. 1. 1968. बम्बई.
पृ275-83. 6 अल्तेकर (अनन्त सदाशिव) तथा मिश्र (विजयकान्त). रिपोर्ट मॉन कुमराहार एक्सकेवेशन्स, 1951-55. 1959.
पटना. पृ 109-11. 7 कृष्णदेव तथा मिश्र (विजयकान्त). वैशाली एक्सकेवेशन, 1950. 1961. वैशाली. प51./ सिन्हा (बी पी).
तथा राय (सीताराम). वैशाली एक्सकेवेशन्स, 1958-62. 1961. पटना. Y 162-63.
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