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________________ द्वादशार-नयचक्र का दार्शनिक अध्ययन साथ-साथ अर्थाभाव में विवक्षा मात्र से शब्द की शक्ति का आधान होना संभव नहीं है। अतः शब्द से भिन्न शक्तिवान् अर्थ या शक्तिस्वरूप अर्थ का स्वीकार आवश्यक है ।। वैयाकरणों के एक अन्य पक्ष को उपस्थित करते हुए आचार्य मल्लवादी कहते हैं कि अर्थ में ही सर्वशक्ति हैं और वे शक्ति शब्द के आधीन हैं ।२ इस पक्ष की समीक्षा करते हुए आचार्य कहते हैं कि आप अर्थ में सर्वशक्ति मानेंगे तो वह जैनदर्शन के मत का ही अनुसरण हो जायेगा । जैनदर्शन में एक द्रव्य में अनन्त पर्याय मानी गई हैं। इसकी व्याख्या करते हुए सिंहसेनसूरि कहते हैं कि जैनदर्शन में एक-एक द्रव्य में अनन्त पर्याय मानी गई हैं । सापेक्ष और निरपेक्ष परिणाम को पर्याय माना गया है । शक्ति और पयार्य दोनों पर्यावाची शब्द हैं । अन्योन्यानुगत शक्ति वाला होने के कारण द्रव्य को भी सर्वशक्तिमान् माना गया है। सन्मति प्रकरण में भी कहा गया है कि दूध और पानी की तरह अन्योन्य में ओतप्रोत पदार्थ में यह और वह ऐसा विभाग करना योग्य नहीं है । जितने विशेष पर्याय हों उतना अविभाग समझना चाहिए । इस प्रकार सर्वशक्तिमान वाद को स्वीकार करने पर जैनदर्शन के सिद्धान्त का आश्रय लेना पड़ेगा । अतः शब्द से भिन्न अर्थ १. तस्मादर्थात् सिद्धात् पश्चाद् भवति शब्दः । यथार्थरूपं तथा हि सयोग्य: शब्दस्तस्यार्थस्य वाचकः । अर्थनिबन्धना हि विवक्षा, इतरथा वचनस्य प्रवृत्त्यसम्भवात् । ... न च विवक्षामात्रेण शब्द: श्रोतबुद्धौ तां तां शक्तिमाधातुं शक्नोति । एवं चानेव त्वद्वचनेनैव विशेष लक्षणाः शक्तयः परिगृहीता एव त्वया । वही० पृ० ५८३-५८४. २. अशक्तेः सर्वशक्तेर्वा शब्दैरेव प्रकल्पिता। एकस्मार्थस्य नियता क्रियादिपरिकल्पना || वाक्यपदीयं० २. १३१. ३. परमार्थतस्तु वाद परमेश्वरवाद एवायम्, एकैकद्रव्यानन्तपर्यायत्वात् ।। द्वादशारं नयचक्रं, पृ० ५८५. ४. वही, टीका, पृ० ५८५. ५. अण्णोण्णाणुगताणं इमं व तं वत्ति विह्यणमयुत्तं । जघं दुद्ध- पाणियाणं जावंति विशेषपज्जाया । सन्मति० १.४७. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001955
Book TitleDvadashar Naychakra ka Darshanik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherShrutratnakar Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size11 MB
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