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________________ ११ धर्मकथानुयोग-विषय-सूची १० देवता ने नियतिवाद का समर्थन किया ११ १२ देव का लौट जाना कुण्डकोलिक ने नियतिवाद का निरसन किया १३ १४ १५ भ. महावीर के समवसरण में जाना और धर्मश्रवण करना भ. महावीर द्वारा पूर्व वृतान्त का प्ररूपण भ. महावीर ने कुण्डकोलिक की प्रशंसा की भगवान का जनपद विहार कुण्ड कोलिक की धर्मजागरिका १६ १७ १८ कुण्डकोलिक का उपासक प्रतिमा आराधना करना १९ कुण्डकोलिक का अनशन २० कुण्डकोलिक का समाधिमरण, देवलोक में उत्पत्ति और उसके बाद सिद्धगति प्राप्त करने का निरूपण सद्दालपुत्र कुंभकार का कथानक १ पोलासपुर में सालपुत्र २ सद्दालपुत्र के सामने देवता ने भ. महावीर की प्रशंसा की ३ सद्दालपुत्र का गोशालक वंदन संकल्प ४ (३५) भ. महावीर का समवसरण और सद्दालपुत्र का धर्म-श्रवण ५ अ. महावीर ने देवता द्वारा की गई प्रशंसा का निरूपण किया ६ सद्दालपुत्र का निवेदन ७ ८ सहालपुत्र का गुहीधर्म ग्रहण करना ९ अग्निमित्रा का भ. महावीर की वंदना के लिए जाना और धर्म-श्रवण करना १० अग्निमित्रा का गृहीधर्म ग्रहण करना ११ भगवान का जनपद विहार १२ सद्दालपुत्र की श्रमणोपासक चर्या १३ अग्निमित्रा की श्रमणोपासका चर्या भ. महावीर ने सालपुत्र को बोध दिया १४ गोशालक का आगमन १५ गोशालक ने भ. महावीर के गुणगान किये १६ भ. महावीर के साथ विवाद करने में गोशालक का असामर्थ्य और उसका लौट जाना १० साल की धर्मारिका १८ सद्दालपुत्र ने देवता द्वारा किये गये अपने बड़े पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया १९ सद्दालपुत्र ने देवता द्वारा किये गये अपने मझले पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से गहन किया २० सद्दालपुत्र ने देवता द्वारा किये गये अपने छोटे पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया २१ सद्दालपुत्र द्वारा देव कथित अपनी भार्या का मारण रूप उपसर्ग सहन न होने पर कोलाहल करना और मायावी देव का आकाश में ऊपर चले जाना २२ अग्निमित्रा का प्रश्न २३ सद्दालपुत्र का उत्तर २४ सद्दालपुत्र ने प्रायश्चित्त किया Jain Education International For Private & Personal Use Only सूत्रांक १९४ १९५ १९६ १९७ १९८ १९९ २०० २०१ २०२ २०३ २०४ २०५-२३१ २०५ २०६ २०७ २०८ २०९ २१० २११ २१२ २१३ २१४ २१५ २१६ २१७ २१८ २१९ २२० २२१ २२२ २२३ २२४ २२५ २२६ २२७ २२८ पृष्ठांक ३२९ ३२९ ३२९ ३३० ३३० ३३० ३३१ ३३१ ३३१ ३३१ ३३१ ३३२-३४१ ३३२ ३३२ ३३२ ३३२ ३३३ ३३३ ३३३-३३४ ३३४ ३३५ ३३५ ३३५ ३३६ ३३६ ३३६ ३३६-३३७ ३३७ ३३८ ३३८ ३३८ ३३९ ३३९ ३४० ३४० ३४० www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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