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________________ सूत्रांक पृष्ठांक ३२० १४ 3rrrrrr ०n mm RWAMUNAWW WWWWWWW 10.०० ० ० १६६-१८४ ३२२-३२७ ३२२ ३२२ الا १६८ १६९ الله १७० WW.WWWWW ३२३ ३२३ १७१ १७२ १७३-१७४ ३२३-३२४ (३४) धर्मकथानुयोग-विषय-सूची १२ देव कथित रोगांतक सहन न होने पर सुरादेव का कोलाहल करना और मायावी देव का आकाश में अदृश्य हो जाना धन्ना भार्या का प्रश्न सुरादेव का उत्तर १५ सुरादेव का प्रायश्चित्त करना १६ सुरादेव का उपासक प्रतिमा स्वीकार करना १७ सुरादेव का अनशन १८ सुरादेव का समाधिमरण, देवलोक में उत्पत्ति उसके बाद सिद्धगति प्राप्त करने का निरूपण चुल्लशतक गाथापति का कथानक १ आलभिका नगरी में चुल्लशतक गाथापति २ भगवान महावीर का समवसरण ३ चुल्लशतक का समवसरण में जाना और धर्म श्रवण करना ४ चुल्लशतक का गृहीधर्म स्वीकार करना भगवान का जनपद विहार चुल्लशतक की श्रमणोपासक चर्या ७ बहलाभार्या की श्रमणोपासिका चर्या चुल्लशतक की धर्मजागरिका ९ चुल्लशतक ने देवता द्वारा किये गये अपने बड़े पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक प्रकार से सहन किया चुल्लशतक ने देवता द्वारा किये गये अपने मझले पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया चल्लशतक ने देवता द्वारा कियेगये अपने छोटे पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया देवकथित अपनी स्वर्ण-राशि को बिखरने रूप उपसर्ग सहन न होने पर चुल्लशतक का कोलाहल करना और मायावी देव का आकाश में अदृश्य हो जाना १३ बहुला का प्रश्न १४ चुल्लशतक का उत्तर १५ चुल्लशतक का प्रायश्चित्त १६ चुल्लशतक का उपासक प्रतिमा आराधन करना १७ चुल्लशतक का अनशन १८ चल्लशतक का समाधिमरण, देवलोक में उत्पत्ति और सिद्धगति प्राप्त करने का निरूपण १० कुण्डकोलिक गाथापति का कथानक कपिलपुर में कुण्डकोलिक गाथापति २ भ. महावीर का समवसरण ३ कुण्डकोलिक गाथापति का समवसरण में जाना और धर्म श्रवण करना ४ कुण्डकोलिक का गृही धर्म ग्रहण करना ५ भगवान का जनपद विहार ६ कुण्डकोलिक की श्रमणोपासक चर्या ७ पूसा भार्या की श्रमणोपासिका चर्या ८ देवता ने नियतिवाद का समर्थन किया ९ कुण्डकोलिक ने नियतिवाद का निरसन किया १७५ ३२४ ० ३२४ FIRST SEKASTE. EFFEEEEEEEETE १७७ ३२५ १७८ २२५ १७९ ३२५ ३२६ १८० १८१ १८२ १८३ Mmmmmmmmm ३२६ ३२६ EEEEEEE ३२७ १८४ ३२७-३३१ ३२७ ३२८ १८५-२०४ १८५ १८६ १८७ १८८ १८९ १९० ३२८ ३२८ ३२८ ३२९ ३२९ ३२९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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