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________________ 6) धर्मकथानुयोग-विषय-सूची १९ कामदेव ने उपासक प्रतिमायें ग्रहण की २० कामदेव का अनशन २१ कामदेव का समाधिमरण, देवलोक में उत्पत्ति और बाद में सिद्धगति का निरूपण चुलणीविता गाथापति का कथानक वाराणसी नगरी में चुनीता गाथापति (३३) २ भ. महावीर का समवसरण ३ चुलनी पिता गाथापति का समवसरण में जाना और धर्म श्रवण करना ४ चुलनी पिता का गृही धर्म स्वीकार करना ५ भगवान का जनपद विहार ६ चुलनी पिता की श्रमणोपासक चर्या ७ शामा की श्रमणोपासका चर्या ८ चुलनी पिता की धर्म जागरिका और गृह व्यापार का त्याग ९ चुलनीपिता ने देवता द्वारा किये गये अपने बड़े पुत्र के मरने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया. १० चुलनीपिता ने देवता द्वारा किये गये अपने मझले पुत्र के मारने का उपसर्गं सम्यक् प्रकार से सहन किया ११ चुलनीपिता ने देवता द्वारा किये गये अपने छोटे पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया १२ चुलनी पिता को देवता के कहे हुए अपनी माता को मारने के वचन श्रवण का उपसर्ग सहन न होने पर कोलाहल करना और मायावी देव का आकाश में अदृश्य हो जाना १३ भद्रा का प्रश्न १४ चुलनीपिता का उत्तर १५ चुलनी पिता का प्रायश्चित्त करना १६ चुलनी का उपासक प्रतिमा स्वीकार करना. १७ चुलनीपिता का अनशन १८ चुलनीपिता का समाधिमरण, देवलोक में उत्पत्ति और उसके बाद सिद्धगति का निरूपण ८ सुरादेव गाथापति का कथानक १ वाराणसी नगरी में सुरादेव गाथापति २ भगवान महावीर का समवसरण ३ सुरादेव गाथापति का समवसरण में जाना और धर्म श्रवण करना ४ सुरादेव का गृही धर्म स्वीकार करना ५ भगवान का जनपद विहार ६ सुरादेव की श्रमणोपासक चर्या ७ धन्ना भार्या की श्रमणोपासका चर्या ८ सुरादेव की धर्मजागरिका और गृही व्यापार का त्याग ९ सुरादेव ने देवता द्वारा किये गये अपने बड़े पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया १० सुरादेव ने देवता द्वारा किये गये अपने मझले पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया ११ सुरादेव ने देवता द्वारा किये गये अपने छोटे पुत्र के मारने का उपसर्ग सम्यक् प्रकार से सहन किया Jain Education International For Private & Personal Use Only सूत्रांक १२७ १२८ १२९ १३०-१४७ १३० १३१ १३२ १३३ १३४ १३५ १३६ १३७ १३८ १३९ १४० १४१ १४२ १४३ १४४ १४५ १४६ १४७. १४८-१६५ १४८ १४९ १५० १५१ १५२ १५३ १५४ १५५ १५६ १५७ १५८ पृष्ठांक ३११ ३११ ३११ ३१२-३१६ ३१२ ३१२ ३१२ ३१२-३१३ ३१३ ३१३ ३१३ ३१३ ३१३-३१४ २१४ ३१८ ३१५ ३१५ ३१५-३१६ ३१६ ३१६ ३१६ ३१६ ३१७-३२२ ३१७ ३१७ ३१७ ३१७-३१८ ३१८ ३१८ ३१८ ३१८ ३१८-३१९ ३१९ ३१९ www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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