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________________ ८ धर्मानुयोग-विषय-सूची १० २२ सोमा की प्रव्रज्या २३ सोमा का देव होना और सिद्धगति का प्राप्त होना भ. महावीर के तीर्थ में नन्दा आदि के कथानक ९ भ. महावीर के तीर्थ में काली आदि श्रमणियों के कथानक १ संग्रहणी गाथा. २ ३ १ संग्रहणी गावायें २ श्रेणिक राजा की नन्दा आदि देवियों का श्रमणी होना और सिद्ध गति प्राप्त करना कोणिक राजा की लघुमाता काली काली की प्रव्रज्या और रत्नावली तप ४ काली की संलेखना और सिद्धगति काली का कनकावती तप और सिद्धमति ५ ६ महाकाली का ७ ८ कृष्णा की भिक्षु प्रतिमा और सिद्धगति ९ महाकृष्णा की लघु सर्वतोभद्रप्रतिमा और सिद्धगति १० वीरकृष्णा की महासर्वतोभद्रप्रतिमा और सिगति रामकृष्णा की भद्रोत्तर प्रतिमा और सिद्धगति निष्कीति तप और सिद्धगति कृष्णा का महासिंह तप और सिगति ११ १२ १३ १४ संग्रहणी गाथा भ. महावीर के तीर्थ में जयन्ती का कथानक १ कोशाम्बी नगरी में उदयन आदि का धर्म-श्रवण. २ जयन्ती के प्रश्न और समाधान. कृष्णा का मुक्तायसी उप और गति महासेन कृष्णा का आयम्बिल वर्धमान तप और सिद्धगति चतुर्थ स्कन्ध श्रमणोपासकों के कथानक (२९) १- २३ अध्ययन १ भ. पार्श्वनाथ के तीर्थ में सोमिल ब्राह्मण का कथानक १ भ. महावीर के समवसरण में शुक्र महाग्रहदेव ने नृत्य विधि की २ शुक्रदेव के पूर्वभव वर्णन में सोमिल ब्राह्मण का कथानक ३ भ. पार्श्वनाथ के समीप सोमिलका श्रावक धर्म-ग्रहण करना ४ सोमिल का मिथ्यात्व ५ सोमिल ने आम्र-आराम आदि का निर्माण कराया ६ नाना प्रकार के तापसों का वर्णक और सोमिल का दिशा प्रोक्षिक-तापस जीवन दिशाप्रोक्षिक तापसचर्या 13 ८ सोमिल का काष्ठ मुद्रा से मुखबन्धन करके महाप्रस्थान करना ९. "तेरी प्रव्रज्या दुष्प्रव्रज्या है" इस प्रकार देव के कहने पर भी सोमिल को बोध प्राप्त नहीं हुआ १० ११ १. सूत्रांक देना छूट गया है। Jain Education International देव के पुनः पुनः बोध देने पर सोमिल ने अणुव्रत आदि ग्रहण किये - सोमिल को बोध प्राप्त हुआ For Private & Personal Use Only सूत्रांक २६३ २६४ २६५-२६६ २६५ २६६ २६७-२८१ २६७ २६८ २६९ २७० २७१ २७२ २७३ २७४-२७५ २७६ २७७ २७८ २७९ २८० २८१ २८२-२९५ २८२-२८५ २८६-२९५ १-३४६ १-१२ १ २ ३ ७ १० grates २३२-२३३ २३३ २३३ २३३ २३३ २३४-२३६ २३४ २३४ २३४ २३४ २३४ २३५ २३५ २३५ २३५ २३५ २३५ २३६ २३६ २३६ २३६-२३९ २३६-२३७ २३७-२३९ २४१-३७७ २४३-२४६ २४३ २४३ २४३ २४३ २४३ २४३-२४४ २४४ २४४-२४५ २४५ २४५ २४५-२४६ www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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