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सूत्रांक
पृष्ठांक
६४७-६४८ ६४९-६५० ६५१-६५६
१६९-१७० १७० १७१-१७५
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१७१ १७२-१७४ १७५ १७७-२३९
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१७९-२०७
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धर्मकथानुयोग-विषय-सूची
कंडरीक का प्रव्रज्या परित्याग ९ पुंडरीक की प्रव्रज्या १० कंडरीक की मत्य
११ पुंडरीक की आराधना ४८ भ. महावीर के तीर्थ में स्थविरावली
१ इग्यारह गणधर २ आर्य सुधर्मा के श्रमण-निर्ग्रन्थों की परम्परा ३ आर्य सुधर्मा से आर्य जसभद्र पर्यन्त स्थविरावलो ४ आर्य जसभद्र से संक्षिप्त स्थविरावली ५ आर्य जसभद्र से विस्तृत स्थविरावली ६ नन्दीसूत्रान्तर्गत स्थविरावली
तृतीय-स्कंध श्रमणियों के कथानक
अध्ययन १-१० म. अरिष्टनेमि के तीर्थ में द्रोपदी का कथानक १ द्रौपदी के पूर्वभव २ नागश्री का कथानक ३ नागश्री ने तीक्ष्णरस के तुंबे का व्यंजन बनाया और उसे छिपाकर रखा ४ धर्मरुचि को तीक्ष्णरस के तुंबे का व्यञ्जन दिया ५ धर्मरुचि ने तीखे तुम्बे का व्यञ्जन (भूमि पर) डाला और उससे कीडियां मरी ६ अहिंसा के लिए धर्मरुचि ने तीखे तुबे का व्यञ्जन खाया ७ धर्मरुचि का समाधिमरण ८ साधुओं ने धर्मरुचि की खोज की ९ साधुओं ने धर्मरुचि का समाधि-मरण कहा १० धर्मरुचि का अनुत्तर देवरूप में उपपात और नागसिरी की निन्दा ११ नागसिरी को घर से निकालना १२ नागसिरी का भवभ्रमण १३ नागसिरी का सुकुमालिका का भव १४ सुकुमालिका का सागर के साथ विवाह १५ सागर का पलायन १६ सुकुमालिका की चिन्ता १७ सागरदत्त ने जिनदत्त को उपालम्भ दिया १८ समझाने पर भी सागर ने सुकुमालिका के साथ रहना नहीं चाहा १९ सुकुमालिका का गरीब के साथ पुनर्विवाह २० गरीब भी भाग गया
सुकुमालीका को पुन: चिन्ता , २२ सुकुमालीका का दानशाला. निर्माण २३ आर्याओंका संघाटक भिक्षा के लिए सागरदत्त के घर आया २४ सुकुमालिका ने सागर के प्रसन्न होने के उपाय पूछा २५ आर्याओं ने धर्मोपदेश दिया
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