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सूत्रांक ५९६-६२२
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- धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ४५ धनसार्थवाह का कथानक.
१ राजगृह में धन सार्थवाह की पुत्री सुसुमा २ चिलातदासपुत्र ने कुमार कुमारिकाओं को कीड़ाकाल में मारा-पीटा ३ चिलात को घर से निकाल दिया ४ चिलात की दुर्व्यसनों में प्रवृत्ति ५ राजगृह के समीप चोरपल्ली और उसमें विजय चोर सेनापति
चिलात का चोरपल्ली में गमन और चोर सेनापति विजय ने उसे चोर विद्यायें सिखाई ७ चोर सेनापति विजय की मृत्यु ८ चिलात का चोर सेनापति होना
चिलात का धन सार्थवाह का घर लूटना और सुसुमा का अपहरण करना १० नगररक्षकों ने चोरों का निग्रह किया ११ चिलात का चोरपल्लि से सुसुमा को लेकर भागना और ससुमा को मार देना १२ धन सार्थवाह का सुसुमा के लिये क्रन्दन करना १३ उस अटवी में भूख से व्याकुल धन सार्थवाह आदि ने सुसुमा के मांस रक्त का आहार किया १४ धन सार्थवाह का प्रवजित होना
१५ अंगवंश के सितंतर राजा दीक्षित हुये ४६ कालोदाई (आदि अनेक अन्यतीथियों) के कथानक
१ राजगह-स्थित कालोदाई आदि का अस्तिकाय के विषय में सन्देह २ कालोदाई आदि का गौतम के प्रति अस्तिकाय सम्बन्धि शंका का निरूपण ३ गौतम ने कालोदाई आदि की शंकाओं का समाधान किया ४ कालोदायी के पंचास्तिकाय संबंधी-विविध प्रश्नों के ज्ञातपुत्र-भ. महावीर कृत समाधान ५ कालोदाई का निग्रन्थ प्रव्रज्या ग्रहण और विहरण ६ भ. महावीर का जनपद विहार ७ कालोदाई के पापकर्म फलविपाक संबंधी और कल्याणकर्म (धर्म) फल विपाक संबंधी
प्रश्नों का भ. महावीर ने समाधान किया ८ कल्याण कर्मों के सम्बन्ध में प्रश्नोत्तर
कालोदाई के अग्निकाय जलाने और बुझाने से होने वाले कर्मबन्ध संबन्धी प्रश्नों का
भ. महावीर ने समाधान किया १० कालोदाई के अचित्त पुद्गलों के प्रकाश उद्योतादि संबंधी प्रश्नों का (भ. महावीर) ने
समाधान किया ११ कालोदाई का निर्वाण गमन ४७ पुंडरीक-कंडरीक कथानक
१ महाविदेह में पुण्डरीकिणी नगरी में राजपुत्र पुण्डरीक और कण्डरीक २ महापद्म राजा की प्रव्रज्या और पूण्डरीक का अभिषेक ३ कंडरीक की प्रव्रज्या ४ कंडरीक की वेदना ५ कंडरीक की चिकित्सा ६ कंडरीक का प्रमत्त विहार ७ पुंडरीक ने (कंडरीक को) प्रतिबोध दिया १. धनसार्थवाह के कथानक से यह सूत्र सर्वथा भिन्न है ।
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