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(२२)
सूत्रांक
पृष्ठांक
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५४८ ५४९ ५५०
१४३-१४४
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५६०-५६१
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१४८-१५६
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धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ७ रत्नद्वीप की देवी का माकंदी पुत्रों को दृष्टिविष सर्प के समीप जाने का निषेध ८ माकंदी पुत्रों का बनखण्ड में गमन । ९ माकंदी पुत्रों का देवी-निषिद्ध स्थान में गमन १० वनखण्ड में देवी द्वारा सुलीपर आरोपित पुरुष के दर्शन ११ माकंदी पुत्रों ने संकट-मुक्त होने के संबंध में पूछा १२ माकंदी पुत्रों ने शेलक यक्ष की उपासना की १३ शेलक यक्ष ने रक्षण का उपाय कहा १४ माकंदी-पुत्रों का शैलक यक्ष के पृष्ठ पर आरोहण करना १५ रत्नद्वीप की देवी ने प्रतिकूल उपसर्ग किये १६ रत्नद्वीप की देवी ने अनुकूल उपसर्ग किये १७ जिनरक्षित की मृत्यु १८ जिनपालित का चम्पागमन
१९ जिनपालित की प्रव्रज्या ४२ भ. महावीर के तीर्थ में कालाशवैश्यपुत्र
१ कालाशवैश्यपुत्र श्रमण का चातुर्याम धर्म से पंचमहाव्रत धर्म स्वीकार करना ४३ भ. महावीर के तीर्थ में उदक पेढाल पुत्र
१ नालंदा में लेप नाम का श्रमणोपासक था २ लेप की उदक शाला के समीप गौतम ठहरे हुए थे ३ गौतम के समीप प्रश्न के लिए पार्खापत्यश्रमण उदकपेढाल पुत्र का आना ४ उदकपेढालपुत्र का श्रमणोपासक के प्रत्याख्यान के सम्बन्ध में प्रश्न ५ भगवान गौतम का उत्तर ६ उदकपेढाल पुत्र का प्रति प्रश्न
"त्रस भूत प्राणी त्रस हैं, और त्रस प्राणी त्रस हैं. ये दोनों वाक्य समान अर्थ वाले हैं"
ऐसा गौतम ने कहा ८ उदकपेढाल पुत्र का स्वपक्ष स्थापन ९ भगवान गौतम का प्रत्युत्तर १० श्रमण का दृष्टान्त ११ प्रत्याख्यान के विषय दिखाना १२ नो भागों में प्रत्याख्यान के विषय-दिखाना १३ त्रस-स्थावर प्राणियों के व्यवच्छेद (विनाश) का अभाव १४ उपसंहार
१५ उदक का चार यामधर्म से पंचमहाव्रत धर्म ग्रहण करना. ४४ भ. महावीर के तीर्थ में नन्दीफल का उदाहरण
१ चम्पानगरी में धनसार्थवाह २ धन (सार्थवाह) की अहिच्छत्रा जाने की घोषणा ३ धन (सार्थवाह) ने नन्दीफल वृक्षों के उपभोग का निषेध किया ४ निषेध के अनुसरण का फल
निषेध का पालन न करने पर मृत्यु ६ धन (सार्थवाह) का अहिच्छत्रा जाना ७ धन (सार्थवाह) का प्रवजित होना
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५७१-५७३ ५७४-५८२ ५८३
१४९ १४९-१५० १५० १५०-१५१ १५१-१५३ १५३-१५५ १५५ १५५-१५६
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