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________________ (२१) सूत्रांक पृष्ठांक १३० १३० १३१-१३२ ५१० ५११ ५१२-५१८ ५१२ ५१३ ५१४ 3 sur १३१ १३२ ت 3 १३२ ५१८ १३२ ५१९-५३० ३३-१३७ १३३ १३३ ५२० ५२१ ५२२-५२३ ५२४-५२५ १३३-१३४ १३४-१३५ १३५ १३५-१३६ ५२७-५२८ धर्मकथानुयोग-विषय-सूची २४ स्कन्दक के पात्र-वस्त्र ले आना २५ स्कन्दक का अच्युतकल्प में उपपात और महाविदेह में सिद्धि ३८ भ. महावीर के तीर्थ में मोद्गल परिव्राजक १ आलभिका नगरी में मोद्गल परिव्राजक २ मोद्गल का विभंगज्ञान ३ देव-स्थिति के सम्बन्ध में मोद्गल का विभंगज्ञान ४ भ. महावीर का समवसरण और देव-स्थिति के सम्बन्ध में यथार्थ कथन ५ मोद्गल के विभंगज्ञान का पतन और भ. महावीर के समीप गमन ६ मोदगल का प्रवज्या ७ सिद्ध होने वाले के संहनन के सम्बन्ध में गौतम के प्रश्न ३९ भ. महावीर के तीर्थ में शिवराज ऋषि १ हस्तिनापुर में शिवराजा २ शिव का दिशाप्रोक्षिक-तापस-प्रव्रज्या का संकल्प ३ शिवभद्रकुमार का राज्याभिषेक. ४ शिव की दिशाप्रोक्षिक-तापस-प्रव्रज्या ५ शिव का सात द्वीप विषयक विभंगज्ञान ६ भ. महावीर के समवसरण में शिव के विभंगज्ञान के सम्बन्ध में प्रश्नोत्तर ७ भ. महावीर द्वारा असंख्य द्वीप-समुद्र की प्ररूपणा ८ शिव को अपने ज्ञान के सम्बन्ध में शंका और भ. महावीर की पर्युपासना ९ शिव की प्रव्रज्या और निर्वाणगमन ४० भ. महावीर के तीर्थ में उदायन राजा का कथानक १ चम्पा नगरी में भ. महावीर का समवसरण २ वीतीभय नगर में उदायन राजा ३ उदायन की महावीर वन्दनाभिलाषा ४ भ. महावीर ने अभिलाषा जानी ५ वीतीभय नगर में भ. महावीर का समवसरण ६ उदायन का प्रव्रज्या-संकल्प ७ अपने पुत्र अभिजितकुमार को छोड़कर केशीकुमार (भाणेज) का राज्याभिषेक ८ उदायन की प्रव्रज्या ९ अभिजितकुमार का उदायन के प्रति वैर भाव और कौणिक के समीप गमन १० अभिजितकुमार की असुर देवों में उत्पत्ति ४१ भ. महावीर के तीर्थ में जिनपाल जिनरक्षित का उदाहरण १ चम्पा में माकंदी सार्थवाह के पुत्र २ जिनपाल-जिनरक्षित की समुद्र यात्रा ३ नावा-भंग ४ माकंदी-पुत्र फलक खण्ड से रतन द्वीप पहुंचे ५ रत्नद्वीप की देवी के साथ भोग भोगे रत्नद्वीप की देवी का लवणसमुद्र को स्वच्छ करने के लिए जाना और वनखंड में रमण करने का आदेश देना ५३० ५३१-५४० १३७-१४० १३७ १३७-१३८ १३८ १३८ १३८ mmmmmm mm". rmour9 or १३८ १३८-१३९ ५४० ५४१-५५९ १३९-१४० १४० १४०-१४७ १४० १४०-१४१ ५४१ ५४२ ५४४ ५४५ १४१-१४२ १४२ ५४६ १४२-१४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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