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________________ (२०) सूत्रांक ४७२ ४७३ ४७४-४८१ पृष्ठांक ११७-११८ ११८ ४७४ ११८-१२० ११८ ११९ Marwarorar arror ४७८ ४८० ४८१ १२० १२०-१२२ ४८२-४८७ ४८२ ४८३-४८६ ४८७ १२० १२०-१२१ १२२ १२३-१३० ४८८-५११ धर्मकथानुयोग-विषय-सूची ७ मृगापुत्र का उत्तर ८ मृगापुत्र की प्रव्रज्या ३५ म. महावीर के तीर्थ में गर्दभाली और संजय राजा १ संजय राजा ने मुनि के समीप मृगवध किया २ संजय ने क्षमायाचना की ३ गर्दभाली मुनि ने उपदेश दिया ४ मुनि के समीप राजा की प्रव्रज्या ५ क्षत्रियमुनि के प्रश्न ६ संजय मुनि ने आत्मकथा कही. ७ क्षत्रिय मुनि ने अपना पूर्वभव कहा ८ क्षत्रिय मुनि ने पूर्व प्रव्रजित भरतादिक का निरूपण किया ३६ म. महावीर के तीर्थ में इषुकार राजा आदि छ श्रमण १ इषुकार नगर में पुरोहित तथा उसके पुत्रादि २ जातिस्मरण ज्ञान से पुरोहित पुत्रों को विरति, प्रव्रज्या का संकल्प और निवेदन ३ राजा आदि की प्रव्रज्या ३७ भ. महावीर के तीर्थ में स्कंदक परिव्राजक १ कृतंगला नगरी में भ. महावीर का समोसरण २ श्रावस्ती नगरी में स्कंदक परिव्राजक ३ पिंगल निर्ग्रन्थ ने लोकादि के सम्बन्ध में प्रश्न किये स्कंदक का उत्तर देने में असामर्थ्य अनेकजन कृतंगला नगरी गये ६ भ. महावीर के दर्शनार्थ स्कंदक का कृतंगला जाना ७ भ. महावीर ने गौतम को स्कंदक के आगमन की सूचना दी ८ गौतम ने स्कंदक का स्वागत किया और स्कंदक ने अपने आने का कारण कहा ९ भ. महावीर के ज्ञान के सम्बन्ध में स्कन्दक को आश्चर्य हआ १० स्कन्दक की महावीर-पर्युपासना ११ भ. महावीर ने स्कन्दक के मनोगत भाव कहे १२ भ. महावीर ने चार प्रकार से लोक की प्ररूपणा की १३ चार प्रकार से जीव की प्ररूपणा की १४ चार प्रकार से सिद्धि की प्ररूपणा की १५ चार प्रकार से सिद्धों की प्ररूपणा की' १६ (अनेक प्रकार से) मरण की प्ररूपणा की १७ स्कन्दक का धर्म-श्रमण १८ स्कन्दक की प्रव्रज्या भ. महावीर का जनपद विहार स्कन्दक ने भिक्षु-प्रतिमा ग्रहण की २१ स्कन्दक ने गुणरत्नसंवत्सर तप किया २२ राजगृह में भ. महावीर का समवसरण और स्कन्दक का समाधिमरण का संकल्प २३ स्कन्दक की संलेखना १. सूत्रांक देना छूट गया है । WWWW ~ ~ ०/० r m HHHHH-333333 Mr.० । ००००००० १२३ १२३-१२४ १२४ १२४ १२४ १२४-१२५ १२५ १२५ १२५ १२६ १२६ १२६-१२७ १२७ १२७-१२८ १२८ १२८ १२८-१२९ १२९ १२९-१३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001954
Book TitleDhammakahanuogo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages810
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Story, Literature, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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